हिंदी सूची|व्रत|मासिक व्रत परिचय|ज्येष्ठके व्रत|ज्येष्ठ कृष्णपक्ष व्रत| कृष्णैकादशीव्रत ज्येष्ठ कृष्णपक्ष व्रत संकष्टचतुर्थीव्रत कृष्णैकादशीव्रत वटसावित्रीव्रत ज्येष्ठ कृष्णपक्ष व्रत - कृष्णैकादशीव्रत व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : festivaljyeshthamonthvratज्येष्ठमहिनाव्रतसण कृष्णैकादशीव्रत Translation - भाषांतर कृष्णैकादशीव्रत ( ब्रह्माण्डपुराण ) - एकादशीका व्रत करनेवाला दशमीको जौ, गेहूँ और मूँगके पदार्थका एक बार भोजन करे । एकादशीको प्रातः स्त्रानादि करके उपवास रखे और द्वादशीको पारण करके भोजन करे । इस एकादशीका नाम ' अपरा ' है । इसके व्रतसे अपार पाप दूर होते हैं । जो लोग सद्वैय होकर गरीबोंका इलाज नहीं करते, षट्शास्त्री होकर बिना माँ - बापके बच्चोंको नहीं पढ़ाते, सद्वत राजा होकर भी गरीब प्रजाको कभी नहीं सँभालते, सबल होकर भी अपाहिजको आपत्तिसे नहीं बचते और धनवान होकर भी आपदगस्त परिवारोंको सहायता नहीं देते, वे नरकने जानेयोग्य पापी होते हैं । किंतु अपराका व्रत ऐसे व्यक्तियोंको भी निष्पर करके वैकुण्ठमें भेज देता है । अपरासेवनाद् राजन् विपाप्मा भवति ध्रुवम् । कूटसाक्ष्यं मानकूटं तुलाकूटं करोति च ॥ कूटवेदं पठेद् विप्रः कूटशास्त्रं तथैव च । ज्यौतिषी कूटगणकः कूटपूर्वाधिको भिषक् ॥ कूटसाक्षिसमा ह्येते विज्ञेया नरकौकसः । अपरासेवनाद् राजन् पापमुक्ता भवन्ति ते ॥ ( ब्रह्माण्डपुराणे ) N/A References : N/A Last Updated : January 17, 2009 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP