एकादशीव्रत
( ब्रह्मवैवर्तपुराण ) -
आषाढ़ कृष्ण एकादशीको प्रातःस्त्रानादि करके
' मम सकलपापक्षयपूर्वककुष्ठादिरोगनिवृत्तिकामनया योगिन्येकादशीव्रतमहं करिष्ये ।'
संकल्प करके पुण्डरीकाक्षभगवानका यथाविधि पूजन करे, उनके चरणोदकसे सब अङ्गोका मार्जन करे और उपवास करके रात्रिमें जागरण करे तो कुष्ठादि सब रोगोंकी निवृत्ति हो जाती है । प्राचीन कालमें कुबेरके कोपसे हेममालीको कोढ़ हो गया था, उसने महामुनि मार्कण्डेयजीके आज्ञानुसार योगिनी एकादशीका उपवास किया, जिससे उसकी सम्पूर्ण व्याधियाँ मिट गयीं और कुबेरने उसे अपनी सेवामें वापस बुला लिया ।