प्रतिविंध्य n. (सो. कुरु.) युधिष्ठिर राजा का द्रौपदी से उत्पन्न पुत्र
[म.आ.५७.१०२,९०.८२] ;
[भा.९.२२.२९] । जन्म के समय यह विन्ध्य पर्वत के सदृश अचल दिखाई पडा, अतएव इसे ‘प्रतिविन्ध्य’ नाम प्रदान किया गया
[म.आ.२१३.७२] । महाभारत में इसे ‘यौधिष्ठिर’ एवं ‘यौधिष्ठिरि’ कहा गया है । भारतीय युद्ध में इसके अश्व शुभ्रवर्ण के कहे गये हैं, जिनके कंठ नीले थे । इसका चित्र राजा के साथ युद्ध हुआ था, जिसमें इसने उसका वध किया
[म.क. १०.३१] । अलम्बुश एवं दुःशासन के साथ भी इसका युद्ध हुआ था, किन्तु उन दोनों युद्ध में यह पराजित हुआ ।
[म. भी.९६.३७-४९] ;
[म.द्रो.१४३.३१-४२] । अश्वत्थामन् ने रात्रि के समय सोते हुए पाण्डवों के कुटुम्बियों का संहार किया था, जिसमें यह भी मारा गया
[म.द्रो.२२.२०] ;
[म.सौ.८.५०] । इसका मृत्युदिन मार्गशीर्ष अमावस्या माना जाता है (भारतसावित्री) ।
प्रतिविंध्य II. n. शाकल देश का एक सुविख्यात राजा, जो एकचक्र नामक दैत्य के अंश से उत्पन्न हुआ था
[म.आ.६१.२२] । युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय अर्जुन ने इसे पराजित किया था
[म.स.२३.१५] । भारतीय युद्ध में, युद्ध पाण्डवों के पक्ष में शामिल था
[म.उ.४.१३] ।