मालव n. पश्चिम भारत में रहनेवाला एक लोकसमूह । नकुल ने अपने पश्चिम दिग्विजय में इनका पराजय किया था
[म.स.२९.३] । युधिष्ठिर के राजसूर्य यज्ञ के समय ये लोग उपस्थित थे, एवं इन्होने विपुल धनराशि युधिष्ठिर को अर्पण की थी
[म.स.३१.११,५२.१४] । भारतीय युद्ध में ये लोग कौरव पक्ष में शामिल थे । भीष्म की आज्ञा के अनुसार, इन लोगों ने अर्जुन से मुकाबला किया था
[म.भी.५५.७४] । किंतु अन्त में अर्जुन ने मालव योद्धाओं को गहरी चोट लगायी थी
[म.द्रो.१८.१६] । युधिष्ठिर ने भे इन लोगों का संहार किया था
[म.द्रो.१३२.२३-२५] । परशुराम ने इस देश के क्षत्रियों का संहार किया था
[म.द्रो.परि.१.८.८४५] । सिकंदर के समय ये लोग पंजाब में रहते थे । इन्होंने एवं क्षुद्रक लोगों ने सिंकदर का काफी प्रतिकार किया । किंतु अन्त में इन्हे हार खानी पडी, एवं पंजाब देश को छोड कर, एवं सिंदु नदी को पार कर, ये लोग राजस्थान के मार्ग से उज्जयिनि के पास आ कर रहने लगे । इन्हीके कारण, उस प्रदेश को ‘मालव’ नाम प्राप्त हुआ ।
मालव (मल्लोई) (गणराज्य) n. एक गणराज्य (सिकंदर आक्रमणकालीन - उत्तर पश्चिम भारतीय लोकसमूह एवं गणराज्य)
जो दक्षिण पंजाब में इरावती (रावी) नदी के तट पर बसा हुआ था । अपने देश वापस जाते समय सिकंदर ने इन्हें एवं व्यास नदी के तट पर स्थित क्षुद्रक लोगों को परास्त किया था । मालव एवं क्षुद्रक पंजाब के सब से अधिक पराक्रमी एवं स्वाधीनताप्रिय लोग माने जाते थे । सिकंदर के आक्रमण के समय इनके पास कोई खडी सेना न थी । इसी कारण इनके बहुत सारे जवान अपने खेतों में ही काटे गये । उसी अवस्था में इन्होंने सिकंदर के साथ गहरा मुकाबला किया । पश्चात् इन्हें एवं क्षुद्रकों को सिकंदर ने परास्त किया, एवं इन्हें संधि करने पर विवश किया । संधि करते समय इन्होंने सिकंदर से कहा, ‘ आज तक हम सदा स्वतंत्र रहे हैं, किन्तु सिकंदर के लोकोत्तर पुरुष होने के कारण, हम स्वेच्छापूर्वक उसकी अधीनता स्वीकृत करते है ’ ।
मालव II. n. सौ क्षत्रियपुत्रों क एक समूह, जो मद्रदेश के अश्वपति राजा को मालवी नामक पत्नी से उत्पन्न हुआ था (मालवी देखिये) ।
मालव III. n. विदर्भ नगरी में रहनेवाला एक विष्णुभक्त ब्राह्मण
[पद्म.उ.२१८] ।