शातातप n. एक स्मृतिकार
[याज्ञ. १.५] । इसकी छः अध्यायोंवाली एक गद्यपद्यात्मक स्मृति है, जो वेंकटेश्र्वर प्रेस, एवं आनंदाश्रम, पूना के द्वारा प्रकाशित ‘स्मृतिसंग्रह’ में प्राप्त है ।
शातातप n. श्री. मित्रा के द्वारा ८७ अध्याय एवं २३७६ श्र्लोकोंवाली इसकी एक स्मृति प्रकाशित की गयी है । इसके अतिरिक्त ‘लघु-शातातप स्मृति’ एवं ‘वृद्धशाताताप स्मृति’ आनंदाश्रम, पूना के द्वारा प्रकाशित की गयी है । ‘मिताक्षरा’
[मिता. ३.२९०] , एवं विश्र्वरूप
[विश्र्व. ३.२३६] ने इसके स्मृति के उद्धरण उध्दृत किये है । ‘बृहत्शापातप स्मृति’ का निर्देश ‘मिताक्षरा’ में प्राप्त है
[याज्ञ. ३.२९०] । ‘वृद्धशातातप स्मृति’ का, एवं उसके भाष्य का निर्देश क्रमशः ‘व्यवहारमातृका’
[व्यव. ३०५] में, एवं हेमाद्रि
[हेमाद्रि.३.१.८०१] में प्राप्त है । शुक्ल यजुर्वेदशाखीय ब्राह्मणों में प्रचलित मातृगोत्रपालन करने के परंपरा का निर्देश, इसकी स्मृति में पाया जाता है ।