अभ्याग्नि (ऐतशायन) n. ऐतश का पुत्र । एकबार, जब ऐतश अपने पुत्र के सामने कुछ मंत्रपठन कर रहा था, तब उन्हे अश्लील समझ कर, इसने उसके मुख पर हाथ रखकर, उनका मंत्रपठन बंद कर दिया । इससे क्रोधित हो कर, तुम्हारा कुल पापी होगा, ऐसा शाप उसने इसे दिया, जिससे सब लोग इसे तथा इसकी संतति को पाप समझने लगे
[ऐ. ब्रा.६.३३] । ऐतशायन को और्वकुलोत्पन्न कहा है
[सां.ब्रा.३०.५] । और्व तथा भृगु कुल का बिलकुल निकट-संबंध होना चाहिए, वो एक ही कूल की ये दो शाखाए होंगी । ऋग्वेद काल से इनका एकत्र उल्लेख पाया जाता है (एतश देखिये) ।