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संवरण n. (सो. अज.) अयोध्या का सुविख्यात राजा, जो अजमीढ राजा का पौत्र, एवं ऋक्ष राजा का पुत्र था । महाभारत में इसे ‘वंशकर’, ‘पुण्यश्र्लोक’ एवं ‘सायंप्रातःस्मरणीय’ राजा कहा गया है [म. अनु. १६५.५४] ।
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संवरण n. एक बार इसके राज्य में महान् अकाल पड़ा, जिस कारण सारे लोग अत्यंत दुर्बल हो गये। इसी दुर्बलता का फायदा उठा कर, पांचाल देश के नृप ने दस अक्षौहिणी सेना के साथ इस पर आक्रमण किया, एवं इसे राज्यभ्रष्ट कर, अयोध्या से भाग जाने पर विवश किया । भागते भागते यह सिंधुनद के किनारे एक दुर्ग तक पहुँच गया, जहाँ यह छिप कर रहेगा लगा। वहाँ वसिष्ठ सुवर्चस् से इसकी भेंट हुई, जिसने इसका राज्य पुनः प्राप्त कराया । पश्चात् वसिष्ठ की ही सहायता से इसने सारी पृथ्वी जीत कर, यह चक्रवर्ति राजा बन गया [म. आ. ८९.२७-४३] ।
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संवरण n. वसिष्ठ की ही कृपा से, सूर्यकन्या तपती से इसका विवाह हुआ। तपती के सहवाससुख में मग्न रहने के कारण, इसके राज्य में पुनः एक बार भयंकर अकाल पड़ा, जो लगातार बारह वर्षों तक चलता रहा। इस अकाल के कारण, इसके पुनः एक बार राज्यभ्रष्ट होने का धोखा निर्माण हुआ था, किंतु उस समय भी वसिष्ठ ने ही राष्ट्र की रक्षा की [म. आ. १६०-१६५] ।
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