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त्रै (ङ) त्रैङ् r. 1st cl. (
त्रायते) To preserve, to protect, to cherish, to de- fend, &c.
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त्रै [trai] 1 Ā. (त्रायते, त्रात or त्राण) To protect, preserve, rescue or save from, defend from (usually with abl.); क्षतात्किल त्रायत इत्युदग्रः क्षत्रस्य शब्दो भुवनेषु रूढः [R.2.53;] [Bg. 2.4;] [Ms.9.138;] [Bk.5.54;15.12.] -with परि to save &c.; परित्रायस्व, परित्रायस्व (in dramas).
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त्रै
cl. 1. Ā. त्रा॑यते (Impv. °यताम्, 2. sg. °यस्व and त्रा॑स्वpl. °यध्वम् and त्रा॑ध्वम्, [RV.] ; ep. त्राति, त्रातु, त्राहि; aor. Subj. त्रासते, 2. du. त्रा॑साथेPrec. त्रा॑सीथाम्, [RV.] ; inf. त्रातुम्, [MBh.] &c.; ind.p. त्रात्वा, [BhP. ii, 7, 9] ) to protect, preserve, cherish, defend, rescue from (gen. or abl. ); cf. परि-, सं-.
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verb व्याधिविपत्त्यादिषु हाननिवारणानुकूलव्यापारः।
Ex. क्षये मरणासन्नत्वे सत्यपि रोहितः आत्मानम् अत्रायत।
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