Dictionaries | References

चित्रकेतु

   { citraketu }
Script: Devanagari

चित्रकेतु     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
CITRAKETU I   An emperor, who remained childless for a long time. At last a son was born to him owing to the blessings of Sage Aṅgiras. But, ere long the child was dead and gone, and its parents, immersed in sorrow took the dead child to Aṅgiras. Nārada also happened to be there on the occasion. Aṅgiras restored the dead child to life and asked him to live with the parents. The boy immediately stood up and told Aṅgiras that he had many parents in his many previous lives, and requested to be enlightened as to which of those parents he was to live with. Brahmā and Nārada felt confused. In the end they disappeared after imparting spiritual wisdom to Citraketu. And, Citraketu, who, for eight days immersed himself in concentrating the mind on God was turned into a Gandharva; his wife too turned Gandharva. And, both of them rose up in the sky and flying over Mount Kailāsa looked down to the mountain. There they saw Pārvatī being seated on the thighs of Śiva at which sight Citraketu laughed. Enraged by the laughter Pārvatī cursed him to be born as an asura, and he was born as such. Vṛtrāsura was Citraketu born as asura. [Bhāgavata, Saṣṭha Skandha] .
CITRAKETU II   A son of Garuḍa. [M.B. Udyoga Parva, Chapter 101, Verse 12] .
CITRAKETU III   A Pāñcāla prince who fought on the side of the Pāṇḍavas. [M.B. Bhīṣma Parva, Chapter 95, Verse 41] .
CITRAKETU IV   A son of Śiśupāla. [Bhāgavata, Navama Skandha] .

चित्रकेतु     

चित्रकेतु n.  स्वायंभुव मन्वन्तर में वसिष्ठ ऋषि तथा ऊर्जा का पुत्र [भा. ४.१.४१]
चित्रकेतु II. n.  शूरसेन देश का राजा । इसकी एक करोड स्त्रिया थीं पर वे सारी अनपत्य थीं । एक बार अंगिरस ऋषि इसके पास आये । तब इसकी प्रार्थनानुसार उन्होंने यज्ञ किया । आदित्य को हविर्भाग देने के बाद, इसकी पटरानी कृतद्युति ने हुतशेष भक्षण किया । इससे उसे पुत्र हुआ । परंतु यह उसकी सौतों को सहन न हो कर, उन्होंने बालक को विष दे दिया । इससे सब शोकाकुल हो गये । इतने में अंगिरस् ऋषि तथा नारद वहॉं प्रकट हुए । ‘अनित्य के लिये शोक करना उचित नही है,’ ऐसा उपदेश उन्होंने इसे किया । अपने दुख को सम्हाल कर, इसने पुत्र की उत्तरक्रिया की । पश्चात नारद का उपदेश ले कर, यह तपस्या करने यमुना के किनारे गया । दूसरे जन्म में यह विद्याधरों का राजा वना । एक बार यह विमान में घूम रहा था । तब इसने देखा कि, शंकर पार्वती को गोद में लेकर, सभा में बैठे हैं । यह देख कर इसने हँस दिया । तब पार्वती ने इसे, ‘तुम राक्षस बनोंगे’ ऐसा शाप दिया । यह परम विष्णुभक्त था । इस कारण, शाप देने की शक्ति होते हुए भी, इसने पार्वती को उलटा शाप नही दिया । इसने उससे क्षमा मॉंगी, तथा यह वापस गया । पार्वती के शाप से यह वृत्रासुर बना [भा.६.१४-१७]
चित्रकेतु III. n.  दशरथपुत्र लक्ष्मण के चन्द्रकेतु नामक पुत्र का नामांतर । यह चंद्रकांतनगर में रहता था [भा.९.११.१२]
चित्रकेतु IV. n.  (सो. नील.) पांचालदेश का राजा । यह द्रुपद का पुत्र था । द्रोणाचार्य ने इसके भाई वीरकेतु का वध किया । इसलिये क्रोधित हो कर इसने द्रोणाचार्य पर आक्रमण किया । परंतु द्रोणाचार्य ने इसका भी वध किया [म.द्रो.१२२] । इसे सुकेतु नामक पुत्र [म.आ.१८६] ;[क. ३८.२१]
चित्रकेतु V. n.  (सो. वृष्णि.) भागवत मतानुसार देवभाग एवं कंसा का ज्येष्ठ पुत्र ।
चित्रकेतु VI. n.  (सो. वृष्णि.) श्रीकृष्ण तथा जांबवती का पुत्र ।
चित्रकेतु VII. n.  गरुड का पुत्र [म.उ.९९.१२]

चित्रकेतु     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
चित्र—केतु  m. m.N. of a son (of गरुड, [MBh. v, 3597] ; of वसिष्ठ, [BhP. iv, 1, 4of.] ; of कृष्ण, x, 61, 12; of लक्ष्मण, ix, 11, 12; of देवभाग, 24, 39)
ROOTS:
चित्र केतु
of a सूरसेन king, vi, 14, 10 ff.

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP