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तिलोत्तमा f. f.
N. of an अप्सरस्, [MBh.] &c.
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तिलोत्तमा n. एक अप्सरा । यह काश्यप तथा अरिष्टा की कन्या थी । पूर्वजन्म में यह कुब्जा नामक स्त्री थी । दीर्घ तपस्या कर यह वैकुंठ गई । देवों के कार्य के लिये ब्रह्माजी ने इसे सुंदोपसुंद के पास भेजा था । प्रत्येक वस्तु का तिलतिल सौंदर्य, इसके सौंदर्य निर्माण के लिये लिया गया था । इसलिये इसे तिलोत्तमा नाम प्राप्त हुआ । सुंदोपसुंद के नाशार्थ जाने के पहले, इसने सब देवों ऋषियों की प्रदक्षिणा की । उस समय इसके मनमोहनी रुप यौवन से, शंकर तथा इंद्र आदि देवसभा के ज्येष्ठ देव भी स्तिमित हो गये । इसे देखते ही, सुंदोपसुंद का आपस में झगडा हो कर, एक ने दूसरे का वध कर दिया । तब ब्रह्मदेव ने इसे वरदान दिया, ‘जहॉं जहॉं सूर्य का प्रवेश होगा, वहॉं तुम भी प्रविष्ट हो सकोगी । तुम्हारे लावण्य का प्रभाव दाहक एवं गहरा होगा । इस कारण कोई भी तुम्हारी ओर ऑख उठा कर देख न सकेगा’ [म.आ.२०३-२०४] ;[पद्म. उ.१२६] । यह अश्विन में त्वष्टा सूर्य के साथ घूमती है [भा १२.११] ।
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of a woman, [Rājat. vii, 120]
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a form of दाक्षायणी, [MatsyaP. xiii, 53]
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