दुर्दभ n. (स्वा.प्रिय.) विक्रमशील राजा का पुत्र । इसकी माता का नाम कालिंदी था । प्रमुच नामक ऋषि की कन्या रेवती इसकी पत्नी थी ।
दुर्दभ II. n. दुर्गम का नामांतर (दुर्गम ३. देखिये) ।
दुर्दभ III. n. (सो. सह.) रुद्रश्रेण्य का पुत्र । कई ग्रंथों में इसे भद्रश्रेण्य का पुत्र कह कर, इसका नाम दुर्मद बताया है
[ह.वं.१.२९.६९] ;
[ब्रह्म.११.४८] । पद्म मत मेंयह भद्रसेन का पुत्र था । इसका पुत्र धनक
[पद्म. सृ. १२] । हैहय एवं काश्य कुलों की परस्पर स्पर्धा में भद्रश्रेण्य के अन्य पुत्रों का दिवोदास ने वध किया । किंतु अनजान होने से इसे छोड दिया । कालोपरांत इसने दिवोदास को पराजित कर, अपने पिता के वध का बदला लिया ।
दुर्दभ IV. n. गोदावरी के तट पर प्रतिष्ठान नगर में रहनेवाला एक ब्राह्मण । यह किसी भी व्यक्ति से दान लेता था । इसलिये इसे नरक प्राप्त हुआ ।
दुर्दभ V. n. विश्वावसु गंधर्व का पुत्र । एक बार कैलास में वसिष्ठ, अत्रि आदि ऋषि शंकर की उपासना कर रहे थे । उस वक्त, अपनी सैंकडों पत्नियों के साथ यह वहॉं आया, तथा पास के ‘हालास्यतिर्थ’ में नग्नस्थिति में स्नान करने लगा । उसकी यह बदतमीजी को देख कर वसिष्ठ ने इसे शाप दिया, ‘तुम राक्षस बनोगे । परंतु इसकी पत्नियों द्वारा प्रार्थना की जाने पर वसिष्ठ ने कहा, ‘सोलह वर्ष के बाद तुम्हारी पति शाप से मुक्त हो कर तुम्हे वापस मिलेंगा । बाद में राक्षस हो कर यह गालव ऋषि को खाने दौडा । तब भगवान् विष्णु के सुदर्शन चक्र के कारण इसकी मृत्यु हो गयी । पश्चात् इसका उद्धार हुआ । एवं विमान में बैठ कर यह गंधर्व लोक में गया
[स्कंद.३.१.४] ।