द्रह्यु n. ऋषवेदकालीन एक मानवजाति । यदु, तुवेशु, अनु, पूरु एवं द्रुह्यु ये ऋग्वेदकालीन पॉंच सुविख्यात जातियॉं थी
[ऋ.१.१०८.८] । इस ‘गण’ के लोग भारत के उत्तर पश्चिम विभाग में रहते थे
[रॉं.वे.१३१-१३३] । महाभारतकाल में यह लोग गांधार देश में रहते थे
[पार्गि. ज.ए.सो.१९१०.४९०] । एकवचन तथा बहुवचन में ‘द्रुह्यु’ का निर्देश ऋग्वेद में कई बार आया है
[ऋ.६.४६.८,७.१८.६, १२, १४,८.१०.५] । उनमें से एकवचन का निर्देश द्रुह्यु गण के राजा से संबंधित रहा होगा । यह राजा सुदास का शत्रु था, एवं पानी में डूब कर उसकी मृत्यु हो गयी
[ऋ.७.१८] । दाशराज्ञ युद्ध में इसे काफी महत्त्वपूर्ण स्थान था । इंद्र, अग्नि,एवं अश्वियों का यह भक्त था
[ऋ.१.१०८,८.१०.५] ।
द्रह्यु II. n. आयुपुत्र नहुष का पौत्र तथा ययाति को शर्मिष्ठा से उत्पन्न तीन पुत्रों में से एक
[म.आ.७८.१०,८४.१०,९५] ;
[गरुड.१.१२९] ;
[पद्म. सृ. १२] । अनु तथा पूरु इसके भाई थे । ययाति ने सब पुत्रों को बुला कर, उन्हें अपनी जरा लेने के लिये कहा । शर्मिष्ठा से उत्पन्न पूरु नामक पुत्र ने ही जरा लेना मान्य किया । तब अन्य पुत्रों को शाप दे कर, ययाति ने पूरु को ही गद्दी पर बैठाया । जरा लेना अमान्य करने के कारण ययाति ने इसे शाप दिया, ‘तुम्हारे मनोरथ एवं भोग-आशा सदा अतृप्त रहेगी । जहॉं नित्य व्यवहार नावों से होता है, ऐसे दुर्गम देश में तुम्हे रहना पडेगा, एवं वहॉं भी राज्याधिकार से वंचित हो कर, ‘भोज’ नाम से तुम प्रख्यात होगें’
[वायु.९४.४९-५०] ;
[ह.वं.१.३०.२८-३१] ;
[ब्रह्म.१२,१४६] ;
[म.आ.७०] । उस शाप के अनुसार, इसको एवं इसके वंश को म्लेंच्छ लोगों के प्रदेश में राज्य मिल गया । इसके वंश की जानकारी अधिकांश पुराणों में मिलती है । ययाति ने सप्तद्वीप पृथ्वी को समुद्र के साथ जीता था । उसके पॉंच भाग कर, उसने अपने पुत्रों में बॉंट दियें । उनमें से पश्चिमी भाग द्रुह्यु को मिला
[ह.वं.१.३०.१७-१८] ;
[विष्णु.४.१०.१७] । परंतु इसके वंशज भरतखंड के उत्तर की ओर राज्य करते थे । इसके राज्य में म्लेंच्छ लोगों की काफी बस्ती होने का वर्ण प्राप्त है
[भा.९.२३.१६] । द्रुह्यु को पूर्व की ओर का राज्य दिया गया था, ऐसा भी कई जगह उल्लेख प्राप्त है
[लिंग. १.६७] । इसे बभ्रु तथा सेतु नामक दो पुत्र थे ।
[ह.वं.१.३२.१२४] ;
[अग्नि.२७६] । मत्स्य के मत में इसे सेतु तथा केतु नामक दो पुत्र थे
[मत्स्य.४८] । द्रुह्यु को बभ्रु नामक एक ही पुत्र था, एवं बभ्रु को सेतु नामक पुत्र हुआ, ऐसा भी निर्देश प्राप्त है
[विष्णु.४.१७.१] ;
[भा.९.२३.१४] । दुष्यन्त ने यह वंश पूरुवंश में मिला दिया । भृगु वंश के ऋषि इसके उपाध्याय थे ।
द्रह्यु III. n. पूरुवंश के मतिनार राजा के चार पुत्रों में से एक
[म.आ.९४.११] ।