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पंचशिख

   
Script: Devanagari

पंचशिख     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  कपिल मुनि के एक पुत्र   Ex. पंचशिख का वर्णन महाभारत में भी मिलता है ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
पञ्चशिख
Wordnet:
benপঞ্চশিখ
gujપંચશિખ
kasپَنٛچشِکھ
kokपंचशिख
marपंचशिख
oriପଞ୍ଚଶିଖ
panਪੰਚਸ਼ਿਖ
urdپنچ شِکھ

पंचशिख     

पंचशिख n.  एक प्राचीन ऋषि । इसे ‘पंच कोशों’ का एवं उन कोशों के बीच में स्थित ब्रह्म का अग्निशिखा के समान तेजस्वी ज्ञान था । इसलिये इसे ‘पंचशिख’ नाम प्राप्त हुआ था [म.शां.२११.६१२] । इसकी माता का नाम कपिला था । कपिला इसकी जन्मदात्री माता नहीं थी । उसका दूध पी कर यह बडा हुआ था । इसकी माता के नाम से, इसे ‘कापिलेय’ मातृक नाम प्राप्त हुआ । सांख्य ग्रंथों में इसे ‘कपिल’ कहा गया है [मत्स्य.३.२९]
पंचशिख n.  यह याज्ञवल्क्यशिष्य आसुरि ऋषि का प्रमुख शिष्य था [म.शां.२११.१०] । ‘बृहदारण्यक उपनिषद’ में इसकी गुरुपरंपरा इसप्रकार दी गयी हैः---उपवेशी, अरुण, उद्दालक, याज्ञवल्क्य, आसुरि, पंचशिख [बृहदारण्युअक.६.५.२-३] । पुराणों में इसकी गुरुपरंपरा कुछ अलग दी गयी है, जो इस प्रकार हैः---वोढु, कपिल, आसुरि, पंचशिख [वायु.१०१.३३८] । इस गुरुपरंपरा में से कपिल ऋषि पंचशिख ऋषि का परात्पर गुरु (आसुरि नामक गुरु का गुरु) था । महाभारत में, कपिल एवं पंचशिख इन दोनों को एक मानने की भूल की गयी है [म.शां.३२७.६४] । उस भूल के कारण, पंचशिख को चिरंजीव उपाधि दी गयी, जो वस्तुतः कपिल ऋषि की उपाधि थी [म.शां.२११.१०] । सांख्यशास्त्र के अभ्यासक, कपिल ऋषि को ब्रह्माजी का अवतार समझते हैं, एवं पंचशिख को कपिल का पुनरावतार मानते हैं ।
पंचशिख n.  मिथिला देश का राजा जनदेव जनक पंचशिख ऋषि का शिष्य था । उससे इसका ‘नास्तिकता’ के बारे में संवाद हुआ था [नारद.१.४५] । इस संवाद के पश्चात्, जनदेव जनक ने अपने सौ गुरुओं को त्याग कर, पंचशिख को अपना गुरु बनाया । फिर इसने उसे सांख्य तत्त्वज्ञान के अनुसार, मोक्षप्राप्ति का मार्ग बताया । निवृत्तिमार्ग के आचरण से जनन-मरण के फेरें से मुक्ति एवं परलोक की सिद्धि कैसा प्राप्त हो सकती है, इसका उपदेश पंचशिख ने जनदेव जनक को दिया [म.शां.२११-२१२] । पंचशिख का एक और शिष्य धर्मध्वज जनक राजा था [म.शां.३०८] । महाभारत में प्राप्त ‘सुलभा धर्मध्वज जनक संवाद’ में धर्मध्वज नें इसे अपना गुरु कहलाता है । भारतीय षड्‌-दर्शनों की परंपरा में ‘सांख्यदर्शन’ सब से प्राचीन है । उस शास्त्र् के दर्शनकारों में पंचशिख पहला दार्शनिक आचार्य माना जाता है । निम्नलिखित लोगों को पंचशिख ने ‘सांख्यशास्त्र’ सिखाया थाः---(१) धर्मध्वज जनक; (२) विश्वावसु गंधर्व [म.शां.३०६.५८] ; (३) काशिराज संयमन [म.शां.परि.१.क्र.२९] । पंचशिख ‘पराशरगोत्रीय’ था । संन्यासधर्म एवं तत्त्वज्ञान का इसे पूर्ण ज्ञान था । यह ब्रह्मनिष्ठ था, एवं इसमें ‘उहापोह’ (ब्रह्मज्ञान का ग्रहण एवं प्रदान ) की शक्ती थी । इसने एक सहस्त्र वर्षो तक ‘मानसयज्ञ’ किया था । ‘पंचरात्र’ नामक यज्ञ करने में यह निष्णात था [म.शां.२११] ;[नारद.१.४५] । शुल्कयजुर्वेदियों के ‘ब्रह्मयज्ञांगर्पण’ में इसका निर्देश प्राप्त है पारस्करगृह्य. परिशिष्ट;[मत्स्य.१०२.१८]
पंचशिख n.  ‘सांख्यशास्त्र’ पर इसने ‘षष्टितंत्र’ नामक एक ग्रंथ भी लिखा था [योगसूत्रभाष्य.१.४,२.१३,३.१३] । वह ग्रंथ आज उपलब्ध नहीं है । सांख्यदर्शन पर उपलब्ध होनेवाला प्राचीनतम ग्रंथ ईश्वरकृष्ण का ‘सांख्यकारिका’ है । ईश्वरकृष्ण का काल चौथी शताब्दी के लगभग माना जाता है ।
पंचशिख n.  सांख्य अनीश्वरवादी दर्शन है । पुरुष एवं प्रकृति ही उसके प्रतिपादन के प्रमुख विषय हैं । सांख्य के अनुसार, प्रकृति एवं पुरुष अनादि से प्रभुत्ववान् है । ‘मैं सुखदुःखातिरिक्त तीन गुणों से रहित हूँ, इस प्रकार का विवेक प्रकृति एवं पुरुष में उत्पन्न होता है, तब ज्ञानोपलब्धि होती है । जब प्रारब्ध कर्म का भोग समाप्त हो कर आत्मतत्त्व का साक्षात्कार हो जाता है, तब मोक्षप्राप्ति ओ जाती है । सांख्य सत्कार्यवादी दर्शन है । सत्कार्यवाद की स्थापना के लिये, उस दर्शन में, असदकरण, उपादानग्रहण, सर्वसंभवाभाव, शक्यकरण एवं कारणाभव ये पॉंच हेतु दिये गये है (सांख्यकारिका) । शंकराचार्यजी ने भी न्याय के असत्कार्यवाद के खंडनार्थ जो युक्तियॉं कथन की है, उन पर सांख्यकारिका का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है । [वेदान्तसूत्र २.१.१८] । कनिष्ठ अधिकारियों के लिये वैशेषिक एवं न्याय, मध्यम अधिकारियों के लिये सांख्य, और उत्तम अधिकारियों के लिये वेदान्त का कथन किया गया है। सांख्यदर्शन में प्रकृति के विभिन्न रुपगुणों की व्याख्या परिमाणवाद या विकासवाद का प्रतिपादन, पुरुष एवं प्रकृति का विवेचन, पुनर्जन्म, मोक्ष एवं परमतत्त्व का विश्लेषण, बहुत ही सूक्ष्म एवं वैज्ञानिक दृष्टि से किया गया है [गे.सं.इति. ४७१-४७३]
पंचशिख II. n.  दधिवाहन नामल शिवावतार का शिष्य ।

पंचशिख     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  कपिल मुनीचो एक पूत   Ex. पंचशिखाचें वर्णन महाभारतांत लेगीत मेळटा
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
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gujપંચશિખ
hinपंचशिख
kasپَنٛچشِکھ
marपंचशिख
oriପଞ୍ଚଶିଖ
panਪੰਚਸ਼ਿਖ
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पंचशिख     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  कपिलमुनीचा एक पुत्र   Ex. पंचशिखाचे वर्णन महाभारतात देखील आहे.
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
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gujપંચશિખ
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kokपंचशिख
oriପଞ୍ଚଶିଖ
panਪੰਚਸ਼ਿਖ
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