कोई काम (विशेषतः अनुपयुक्त या अनुचित काम) करते समय मन को होनेवाला यह औचित्यपूर्ण विचार कि इस काम से बड़ों के मान को ठेस लगेगी
Ex. आगरकरजी ने सुधार संबंधी विचार व्यक्त करते समय जनमत की परवाह नहीं की ।
ONTOLOGY:
अमूर्त (Abstract) ➜ निर्जीव (Inanimate) ➜ संज्ञा (Noun)