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मधुकैटभ

   { madhukaiṭabha(s) }
Script: Devanagari

मधुकैटभ     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
MADHUKAIṬABHA(S)   Two Asuras named Madhu and Kaiṭabha. (See under KAIṬABHA).

मधुकैटभ     

मधुकैटभ n.  एक सुविख्यात असुरद्वय । ये मधुए तथा कैटभ नामक दो असुर ब्रह्मदेव के स्वेद से उत्पन्न हुए थे [विष्णुधर्म.१.१५]
मधुकैटभ n.  पद्म के अनुसार इनकी उत्पत्ति ब्रह्मा के तमोगुण से हुयी थी [पद्म. सृ.४०] । देवी भागवत में कहा गया है कि, इनकी उत्पत्ति विष्णु के कान के मैल से हुयी थी [दे.भा.१.४] । महाभारत के अनुसार, इन दोनों की उत्पत्ति भगवान विष्णु के कान के मैल से हुयी थी । भगवान् ने मिट्टी से इनकी आकृति बनायी थी। इनकी मूर्ति में वायु के प्रविष्ट हो जाने से ये सप्राण हो गये थे । इन दोनों में मधु की त्वचा कोमल थी, अतएव इसे ‘मधु’ नाम प्राप्त हुआ था । मधु सहित कैटभ की उत्पत्ति का वर्णन महाभारत में प्राप्त है। भगवान् विष्णु के नाभिकमल पर भगवत्प्रेरणा से जल दी दो बूँदें पडी थीं, जो रजोगुण तथ तमोगुण की प्रतीक थी । भगवान् ने उन दोनों बूँदों की ओर देखा, तथा उनमें से एक बूँद मधु तथा दूसरी कैटभ हो गयी [म.शां.२५५.२२-२३]
मधुकैटभ n.  इन्होंने तप कर के अजेयत्व प्राप्त किया था । बाद में अपने स्वभाव के अनुसार, जब ये सब लोगों को त्रस्त करने लगे, तब विष्णु ने इनका वध किया [दे.भा.१.४] । ये पैदा होने के उपरांत ही बाह्मणों का वध करने लगे थे, तथा ब्रह्मा को भी मारने के लिए उद्यत हुए थे [म.व.१३.५०] । ब्रह्मदेव ने विष्णु की स्तुति की, तब विष्णु इनसे पचास हजार वर्षो तक युद्ध किया । लेकिन यह मरते ही न थे । अन्त में इन्हे मोहित कर विष्णु न इनसे इनकी मृत्यु का वर मॉंगा, तथा बाद में गोद में लेकर इनका वध किया [पद्म.क्रि.२] ;[मार्क.७८] ;[ह.वं.३.१३] । इनकी मेद से पृथ्वी बनने के ही कारण पृथ्वी को ‘मेदिनी’ नाम प्राप्त हुआ [म.स.परि.१.क्र,.२१. पंक्ति १३३-१३५] ;[शां.३३५] । भगवान् विष्णु ने इन्हे ब्रह्मा के कहने पर मारा था, अत एवं उसे‘मधुसूदन’ नाम प्राप्त हुआ [म.शां.२००-१४-१६] । पद्म के अनुसार, देवासु संग्राम में ये हिरण्याक्ष के पक्ष में शामिल थे, एवं देवों से मायायुद्ध करते थे । इसी कारण विष्णु ने इनका वध किया [पद्म. सृ.७०] । ये असुरों के पूर्वज माने जाते हैं, जो तमोगुणी प्रवृत्ति के उग्र स्वभाववाले थे, तथा सदा भयानक कार्य किया करते थे ।

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