यशस्विनी n. हविष्मत् नामक पितरों की मानसकन्या
[ह.वं.१.१८.६१] । कई ग्रंथों में इसे ‘सुस्वधा’ (उपहूत) पितरों की कन्या कहा गया है । इसका विवाह इक्ष्वाकुवंशीय विश्वमहत् (विश्वसह) राजा से हुआ था, जिससे इसे दिलीप खट्वांग नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था
[ब्रह्मांड.३.१०.९०] ।मत्स्य में इसे इक्ष्वाकुवंशीय अंशुमत् राजा की पत्नी कहा गया है
[मत्स्य.१५.१८] । किन्तु यह अयोग्य प्रतीत होता है । अंशुमत् राजा के पुत्र का नाम भी दिलीप (प्रथम) ही था । संभव है, इसी नामसादृश्य से मत्स्य में, इसे अंशुमत् की पत्नी होने का अयोग्य निर्देश किया गया होगा ।
यशस्विनी II. n. नंद गोप की पत्नी, जिसने श्रीकृष्ण को पालपोस कर बडा किया था
[भा.१०.२.९] । यह देवक नामक गोप की कन्या थी । भागवत में, इसे द्रोण नामक वसु की पत्नी धरा कहा गया है
[भा.१०.८.५०] ; रापण देखिये ।