वध्र्यश्व n. ( सो. नील. ) एक राजा, जो मुद्गल राजा का पुत्र था । ऋग्वेद में अग्निपूजा के समर्थक राजा के रुप में इसका निर्देश प्राप्त है, एवं सरस्वती के द्वारा इसे दिवोदास नामक पुत्र प्रदान किये जाने का निर्देश प्राप्त है
[ऋ. ६.३१.१, १०.६९.१] ;
[अ. वे. २.२९.४] । इसका पुत्र दिवोदास भी इसीके तरह श्रेष्ठ यज्ञकर्ता था । वध्र्यश्व का शब्दशः अर्थ ‘ बधिया अश्वोंवाला ’ होता है । कई अभ्यासकों के अनुसार, इसे सुमित्र नामान्तर भी प्राप्त था । पुराणों में इसके ‘ बध्यश्व ’ , ‘ वध्रश्व ’ , ‘ वध्र्याश्व ’ एवं ‘ विंध्याश्व ’ नामान्तर प्राप्त हैं । मत्स्य में इसे इंद्रसेन राजा का, एवं वायु में ‘ ब्रह्मिष्ठ ’ राजा का पुत्र कहा गया है । मत्स्य में इसका वंशक्रम ब्रह्मिष्ठ - इंद्रसेन - विन्ध्याश्व - दिवोदास इस क्रम से दिया गया है । कई अभ्यासकों के अनुसार, यह ब्रह्मिष्ठ एवं इंद्रसेना का पुत्र था । किन्तु मत्स्य में ‘ इंद्रसेना ’ के बदले ‘ इंद्रसेन ’ पाठ का स्वीकार कर, इसे इंद्रसेन राजा का पुत्र कहा गया है, जो गलत प्रतीत होता है । इसकी पत्नी का नाम मेनका था, जिससे इसे दिवोदास एवं अहल्या नामक संतान उत्पन्न हुई
[मत्स्य. ५०.७] ;
[वायु. ९९.१९५] ;
[ह. वं. १.३२.७०] ।
वध्र्यश्व (अनूप) n. एक सामद्रष्टा आचार्य
[पं. ब्रा. १३.३.१७] । अनूप का वंशज होने के कारण, इसे ‘अनूप’ पैतृक नाम प्राप्त हुआ था ।
वध्र्यश्व II. n. भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ।