शांडिली n. दक्ष प्रजापति की कन्या, जो धर्म ऋषि की पत्नीयों में से एक थी
[म. आ. ६६.१७-२०] ।
शांडिली II. n. कौशिक ऋषि की पत्नी दीर्घिका का नामांतर (दीर्घिका एवं कौशिक) १४. देखिये।
शांडिली III. n. शांडिल्य ऋषि की तपस्विनी कन्या, जो स्वयंप्रभा नाम से भी सुविख्यात थी । यह ऋषभ पर्वत पर तपस्या करती थी ।
शांडिली III. n. एक बार गालव ऋषि एवं पक्षिराज गरुड इसके आश्रम में अतिथि के नाते आये। इसने उनका उत्तम आदरसत्कार किया, एवं रात्रि के लिए उन्हें अपने आश्रम में ठहराया । रात्रि में सोते सोते गरुड के मन में विचार आया, ‘इस तपस्विनी को अगर मैं अपने पंखों पर बिठा कर विष्णुलोक ले जाऊं, तो बहुत ही अच्छा होगा’। गरुड के इस औद्धत्यपूर्ण विचारों के कारण, एक ही रात्रि में उसके पंख गिर गये, एवं वह पंखविहीन बन गया । पश्चात्, गरुड वं गालव दोनों इसकी शरण में आये, जिस कारण उन्हें अनेकानेक वर प्रदान किये
[म. उ. १११.१-१७] ;
[स्कंद. ६.८१-८२] । केकयदेशीय सुमना नामक राजकन्या से इसने पातिव्रत्य के संबंध में उपदेश प्रदान किया था
[म. अनु. १२३. ८-२३] ।