सुकृष n. एक ऋषि, जो विपुलस्वत ऋषि का पुत्र था । इसकी जीवनकथा शिवि औशीनर राजा से काफ़ी मिलती जुलती है । इसके कुल चार पुत्र थे । एक बार इसकी सत्त्वपरीक्षा लेने के लिए इंद्र पक्षीरूप से इसके पास आया, एवं नरमांस का भोजन माँगने लगा । इसने उसकी इच्छा पूर्ण करने का आश्वासन दिया, एवं अपने पुत्रों को माँस निकाल देने की आज्ञा दी। इसकी यह प्रार्थना इसके पुत्रों ने अस्वीकार कर दी। इस पर क्रुद्ध हो कर इसने उन्हें ‘तीर्यग्’ (पक्षी) योनि में जन्म प्राप्त होने का शाप दिया । तदनुसार इसके पुत्र गरुडवंश में द्रोणपुत्र, पिंगाक्ष, विबोध, सुपुत्र एवं सुमुख नामक पक्षी बन गये
[मार्क. ३.] इसके पुत्रों के द्वारा निदान माँगे जाने पर, इसने उन्हें पक्षीयोनि में रह कर भी ज्ञानी बनने का उःशाप दिया । इंद्र को दिये गये अभिवचन की पूर्ति के लिए यह अपना स्वयं का माँस निकालने लगा। इस पर इंद्र अपने सही रूप में प्रकट हुआ, एवं उसने इसे महाज्ञानी बनने का, एवं तपस्या में कही भी विघ्न न उत्पन्न होने का आशीर्वाद प्रदान किया ।