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दुर्—वा°रण mfn. mfn.
id. , ib.
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दुर्वारण n. जालंधर दैत्य का दूत । जालंधर की आज्ञानुसार, क्षीरसागर से देव-दैत्यों ने निकाले चौदह रत्न मॉंगने के लिये, ये इंद्र के पास गया । परंतु उन्हें देने से इन्कार कर, इंद्र ने जालंधर से युद्ध घोषित किया । पश्चात् देव दैत्यों का संग्राम हो कर, उस में यम के साथ इसका युद्ध हुआ [पद्म.उ.५] । बाद में विष्णु या शंकर में से प्रथम किससे युद्ध किया जावे, यह समस्या जालंधर कें सामने आई । तब इसने उसे सलाह दी, ‘वह प्रथम शंकर से युद्ध करें’[पद्म.उ.१६] ।
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दुर्—वा°रण m. m.
pl. N. of a tribe of the काम्बोजs, [MBh. vii, 4333] (v.l. °वारि)
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DURVĀRAṆA I An army chieftain of the King of Kamboja. He was killed in the great war by Sātyaki. [M.B. Droṇa Parva, Chapter 112, Verse 42] .
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