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पुलोमा f. f.
N. of a daughter of the demon वैश्वानर (she was loved by the demon पुलोमन्, but became the wife of भृगु or कश्यप), [MBh.] ; [Hariv.] ; [Pur.]
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पुलोमा [pulōmā] N. N. of the wife of Bhṛigu and mother of Chyavana.
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पुलोमा n. वारुणि भृगु ऋषि की पत्नी, एवं च्यवन ऋषि की माता [विष्णुधर्म, १.३२] ;[गणेश.५.२९] । इसे पौलोमी नामांतर भी प्राप्त है [विष्णु.७.३२] । इसका पति भृगु ब्रह्ममानसपुत्रों में से एक था । पुलोमा जब बहुत छोटी थी, तब इसे डराने के विचार से इसके पिता ने सहजभाव से कहा, ‘हे राक्षस! इसे ले जा ।’ संयोग की बात थी, कि उधर से पुलोमत् नामक राक्षस जा रहा था । उसने यह कथन सुनकर, मन से इसका वरण किया । कालांतर में, जब यह बडी हुई, तब इसके पिता ने इसकी शादी भृगु के साथ कर दी, क्योंकि उसे पूर्व की अघटित घटना का ज्ञान न था । एक बार जब यह गर्भवती थी, तब पुलोमत् इसके आश्रम में आया । उस समय भृगु ऋषि स्नान हेतु बाहर गये थे, अतएव इसने पुलोमत् क उचित आदरसत्कार कर, उसे कंदफलादि खाने के लिए दिये । पुलोमत् ने मिले हुये सत्कार को स्वीकार कर, वह पुलोमा के हरण की बात सोचने लगा । जिज्ञासा को संतुष्ट करने के लिये, उसने अग्नि से पूछा, ‘मैने पुलोमा का मन से वरण किया है, पर समझ नहीं पा रहा, वास्तव में यह किसकी पत्नी है । अग्नि ने कहा ‘तुमने इसके बाल्यकाल में ही अपने मन में अवश्य वरण कर लिया हो, किन्तु यह भृगु ऋषि की पत्नी है । मेरे समक्ष भृगु ने इसका विधिवत् वरण किया है । पुलोमत् राक्षस अग्नि के उत्तर से सहमत न हुआ, और वराहरुप धारण कर, उसने पुलोमा का हरण किया । अपनी मॉं पुलोमा का हरण देखकर, उस के गर्भ में स्थित च्यवन ऋषि ने गर्भ से बाहर आकर, वराहरुप राक्षस को अपने तेज से दग्ध किया । पुलोमा के कुल उन्नीस पुत्र हुये, जिनमें से बारह देव तथा सात राक्षस थे । इन पुत्रों की सूची भृगुवंश में प्राप्त है [म.आ.५-६] ।
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वचा Acorus Calamus (= ), [L.]
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