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लोहगंध

   
Script: Devanagari

लोहगंध

लोहगंध n.  गार्ग्यकुलोत्पन्न एक ऋषि, जिसका जनमेजय पारिक्षित प्रथम राजा ने वध किया थाइस ब्रह्महत्या के कारण, लोगों ने जनमेजय पारिक्षित को राज्यभ्रष्ट कर, उसे हद्दपार किया [वायु. ९३.२०-२६]इस पाप से छुटकारा पाने के लिए जनमेजय राजा ने ‘इंद्रोत शौनकनामक आचार्य के द्वारा एक अश्वमेध यज्ञ किया ‘जनमेजय पारिक्षित १, देखिये’ । कई अभ्यासको के अनुसार, गार्ग्य लोहगंध की उपाधिहो कर जनमेजय प्रथम की उपाधि थी, जो उसके शरीर से आनेवाली दुर्गंधी के कारण उसे प्राप्त हुई थी । जनमेजय को ब्रह्महत्त्या के पातक से मुक्त करानेवाले इंद्रोत शौनक ने उसके शरीर की यह दुर्गंधी भी दूर करायी [ब्रह्मांड ३.६८.२३-२६] ;[ह. वं. १.३० १०-१४] ;[म. शां १४१.११]

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