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जातूकर्ण्य m. m. (
fr. जतू-कर्णg. गर्गा-दि) N. of several preceptors and grammarians (See also °ण), [ŚBr. xiv] ; KātyŚr. iv, xx, xxv; [VPrāt.] ; [ŚāṅkhŚr.]
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जातूकर्ण्य n. -आसुरायण एवं यास्क का शिष्य । इसका शिष्य पाराशर्य [बृ.उ.२.६.३,४.६.३] । यह कात्यायनी का पुत्र था [सां.आ.८.१०] । अलीकयु वचस्पत्य तथा अन्य ऋषियों का यह समकालीन था । अन्य काफी स्थानों में इसका उल्लेख है [ऐ.आ.५.३.३] ;[सां.श्रौ.१.२.१७,३.१६.१४,२०.१९, १६.२९.६] ;[खा. श्रौ.४.१.२७,२०.३.१७,२५.७.३४] ;[सां. ब्रा. २६.५] । संधिनियम के बारे में विचार करनेवाला, यह एक आचार्य था [शु. प्रा.४.१२३,१५८.५.२२] । सांख्यायन श्रौतसूत्र में इसे जल जातूकर्ण्य कहा है । एक पैतृक नाम के नाते, जातूकर्ण्य शब्द का उपयोग भी प्राप्त है ।धर्मशास्त्रकार
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[ŚāṅkhGṛ., iv, 10, 3] ; [AitĀr. v, 3] ; [BrahmaP. ii, 12]
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pl. जातूकर्ण्य's family, [Pravar. vi, 1 and 6.]
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