जातूकर्ण्य n. -आसुरायण एवं यास्क का शिष्य । इसका शिष्य पाराशर्य
[बृ.उ.२.६.३,४.६.३] । यह कात्यायनी का पुत्र था
[सां.आ.८.१०] । अलीकयु वचस्पत्य तथा अन्य ऋषियों का यह समकालीन था । अन्य काफी स्थानों में इसका उल्लेख है
[ऐ.आ.५.३.३] ;
[सां.श्रौ.१.२.१७,३.१६.१४,२०.१९, १६.२९.६] ;
[खा. श्रौ.४.१.२७,२०.३.१७,२५.७.३४] ;
[सां. ब्रा. २६.५] । संधिनियम के बारे में विचार करनेवाला, यह एक आचार्य था
[शु. प्रा.४.१२३,१५८.५.२२] । सांख्यायन श्रौतसूत्र में इसे जल जातूकर्ण्य कहा है । एक पैतृक नाम के नाते, जातूकर्ण्य शब्द का उपयोग भी प्राप्त है ।धर्मशास्त्रकार
जातूकर्ण्य II. n. (सू. दिष्ट.) भागवत के मत में देवदत्त पुत्र ।
जातूकर्ण्य III. n. (सू. नरि.) एक ऋषि
[म.स.४.१२] । अग्निवेश्य का यह नामाण्तर था
[भा.९.२.२१] ।
जातूकर्ण्य IV. n. व्यास की ऋक्शिष्य परंपरा के शाकल्य मुनि का शिष्य । इसने शाकलसंहिता का अध्ययन किया था (व्यास देखिये) ।
जातूकर्ण्य V. n. वसिष्ठगोत्र का प्रवर ।
जातूकर्ण्य VI. n. एक व्यास (व्यास देखिये) । जातूकर्ण ऐसा पाठ भी उपलब्ध है । यह जरदुष्ट्र से मिलने के लिये ईरान गया था
[दसतिर. १३.१६३] ।
जातूकर्ण्य VII. n. ब्रह्मांड पुराण की परंपरा का एक आचार्य ।