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यास्क

   { yāskḥ, yāska }
Script: Devanagari

यास्क     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
YĀSKA   A famous Sanskrit Grammarian of ancient times. Although the people of India always believed in the greatness of the Vedas, the Vedas became unintelligible even to scholars owing to changes in language and differences in grammar. It was Yāska and Sāyaṇa who saved the country from that plight. Yāska became famous by composing “Nirukta” (etymology). There is a reference to this ancient sage in [Mahābhārata, Chapter 342, Verse 72] .

यास्क     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  एक पौराणिक ऋषि   Ex. यास्क वेदों के बहुत बड़े ज्ञाता थे ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
यास्क ऋषि
Wordnet:
benযাস্ক
kasیاسَک , یاسَک ریش
kokयास्क
marयास्क
panਯਾਸਕ
sanयास्कः
urdیاسک , یاسک رشی

यास्क     

यास्क n.  निरुक्त नामक सुविख्यात ग्रंथ का कर्ता, जो ‘शब्दार्थतत्त्व’ का परमज्ञाता माना जाता है । यस्क ऋषि का शिष्य होने से इसे संभवत: ‘यास्क’ नाम प्राप्त हुआ होगा । इसने प्रजापति कश्यप के द्वारा लिखित निघंटु नामक ग्रंथ पर विस्तृत भाष्य लिखा था, जो ‘निरुक्त’ नाम से प्रसिद्ध है । इसके द्वारा लिखित यह ग्रंथ वेदार्थ का प्रतिपादन करनेवाला सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ माना जाता है । महाभारत के अनुसार, दैवी आपत्ति से विनष्ट हुआ निरुक्त ग्रंथ इसे विष्णुप्रप्ताद के कारण पुन: प्राप्त हुआ [म. शां. ३३०.८-९] । इसी कारण इसने अनेक यज्ञों में श्रीविष्णु का शिपिविष्ट नाम से गान किया है [म. शां, ३३०.६-७] । बृहदारण्यक उपनिषद में यास्क को आसुरायण नामक आचार्य का समकालीन एवं भारद्वाज ऋषि का गुरु कहा गया है [वृ. उ. २.५.२१, ४.६.२७. माध्यं] ;[श. ब्रा, १४.५,५,२१] । संभवत: निरुक्तकार यास्क एवं उपनिषदों में निर्दिष्ट यास्क दोनो एक ही व्यक्ति होगें । उसी ग्रंथ में अन्यत्र इसके शिष्य का नाम जातूकर्ण्य दिया गया है [बृ. उ. २.६.३, ४.६.३] । निरुक्त के अंत में यास्क को ‘पारस्कर’ कहा गया है, जिससे प्रतीत होता है कि यह पारस्कर देश में रहनेवाला था । पाणिनि के व्याकरणंग्रंथ में यास्क शब्द की व्युत्पत्ति प्राप्त है, जिससे प्रतीत होता है कि, यह पाणिनि के पूर्वकालीन था [पा, स. २.४.६३] । पिंगल के छंदःसूत्र में एवं शौनक ऋकप्रातिशाख्य में इसका निर्देश प्राप्त है ( छं. सू. ३.३० ); शौनक देखिये इसका काल लगभग ई. पू. ७७० माना जाता है ।
यास्क n.  वेदों में प्राप्त मंत्रों का शब्दव्युत्पत्ति, शब्दरचना आदि के द्दष्टी से अध्ययन करनेवाले शास्त्र को ‘निरूक्त’ कहते है । यद्यपि आग्रायण, औदुंबरायण, औपमन्यव, शाकपूणि आदि प्राचीन भाषाशास्त्रज्ञों ने निरुक्तों की रचना की थी, तथापि उनके ग्रंथ आज उपलब्ध नहीं है । प्राचीन निरुक्त ग्रंथो में से यास्क का निरुक्त ही आज उपलब्ध है, निसमें ऋग्वेद के कई मंत्रों के अर्थ का स्पष्टीकरण. एवं देवताओं के स्वरुप का निरुपण किया गया है । इस ग्रंथ में गार्ग्य, औदुंबरायण एवं शाकपूणि नामक पूर्वाचायों का निर्देश प्राप्त है । निरुक्त तथा व्याकरण ये दोनों शास्त्र शब्दज्ञान एवं शब्दव्युत्पत्ति से ही संवंधित है । वेदमंत्रों का अर्थ जानने के लिए पहले उनकी ‘निरुक्ति’ जानना आवश्यक होता है । इसी कारण, जो कठिण शब्द व्याकरणशास्त्र से नही सुलझते थे, उनके अर्थज्ञान के लिए निरुक्त की रचना की गयी है । यारक के पहले ‘निघंटु’ नामक एक वैदिक शब्दकोश था, जिस पर इसने निरुक्त नामक अपने भाष्य की रचना की । वेदों में प्राप्त विशिष्ट शब्द विशिष्ट अर्थ में क्यों रुढ है, इसकी निरुक्ति इस ग्रंथ में की गय़ी है । इसी कारण वर्णागम, वर्णविषर्यय, वर्णविकार, वर्णनाश, आदि विषयों का का प्रतिपादन निरुक्त में किया गया है । यास्क ने वैदिक शब्दो को धातुज नाम कर उनकी निरुक्ति की है, जिस कारण वह एक असाधारण ग्रंथ वन गया है । इस ग्रंथ में वैदिक शब्दों की व्याख्या के साथ व्याकरण, भाषाविज्ञान, साहित्य आदि विषयों की जानकारी भी प्राप्त हैं । निरुक्त में नैघंटुक, नैगम एवं दैवत नामक तीन काण्ड है, जो बाहर अध्यायों में विभक्त किये गये है ।
यास्क n.  यास्क ने अपने ‘निरुक्त’ में इस विषय के वारह निम्नलिखित पूर्वाचायों का निर्देश किया है---औदुस्वरायण, औपमन्यव, वाष्यांयणि, गाग्यं, आग्रहायण, शाकष्ठणि, और्णवाभ, तैटीकि, गालव, स्थालाष्ठीवि, क्रौष्टु एवं कात्धक्य ।
यास्क n.  एक प्राचीन भाषाशास्त्रज्ञ के नातें, यारक भाषाशास्त्रीय विचारप्रणालियों का आद्य आचार्य माना जाता है । इसका मत था, कि जो शब्द भाषा के प्रचलित लौकिक शब्दों के समान रहते है, वे ही अर्थवान् बनते है ( अर्थवन्त: शब्दसाम्यात नि. १.१६ )। अपने ग्रंथ में वैदिक मंत्रों का अशुद्ध उच्चारण करनेवाले व्यक्तियो की यास्क ने कटु आलोचना की है । इसने कहा है, स्वर एवं वर्ण से भ्रष्ट हुयें मंत्र इंद्रशत्रु की भाँति वागवज्र हो कर यजमान को विनष्ट कर देते है । वैदिकमेत्रो का प्रथम दर्शन करनेवाले प्रतिभावान् व्यक्ति को इसने मंत्रद्रष्टा अथवा ऋषि कहा है ऋषिर्दर्शनात्. ऋषय: मंत्रद्रष्टार;[नि. २.११]

यास्क     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  एक पुराणीक रुशी   Ex. यास्क वेदांचो खूब व्हडलो ज्ञाता आशिल्लो
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
यास्क रुशी
Wordnet:
benযাস্ক
hinयास्क
kasیاسَک , یاسَک ریش
marयास्क
panਯਾਸਕ
sanयास्कः
urdیاسک , یاسک رشی

यास्क     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  एक पौराणिक ऋषी   Ex. यास्क हे वेदांचे खूप मोठे ज्ञाते होते
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
यास्क ऋषी
Wordnet:
benযাস্ক
hinयास्क
kasیاسَک , یاسَک ریش
kokयास्क
panਯਾਸਕ
sanयास्कः
urdیاسک , یاسک رشی

यास्क     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
यास्क  m. m. (fr.यस्कु) patr. of the author of the निरुक्त (or commentary on the difficult Vedic words contained in the lists called निघण्टुs; he is supposed to have lived before पाणिनि; cf.[IW. 156 &c.] ), [ŚBr.] ; [RPrāt.] ; [MBh.]
pl. the pupils of यास्क, [Pāṇ. 2-4, 63] Sch.

यास्क     

यास्कः [yāskḥ]  N. N. of the author of the Nirukta.

यास्क     

Shabda-Sagara | Sanskrit  English
यास्क  m.  (-स्कः) Name of the author of NIRUKTA.

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