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गार्ग्य

   { gārgya(m), gārgya }
Script: Devanagari

गार्ग्य     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
GĀRGYA I   (TRIJAṬA) GĀRGA. A famous sage.
1) Birth.
He was one of the sons of Viśvāmitra. [Śloka 55, Chapter 4, Anuśāsana Parva] . (For genealogy see under Viśvāmitra). He became gradually the priest of Gudavas. He has written a famous book called Gargasmṛti. Vālmīki Rāmāyaṇa mentions that Gārgya is known as Trijaṭa also.
2) How he became prosperous.
Sage Gārgya had many children. It was while he was staying in the forest with his wife and children that Śrī Rāma came to that forest for Vanavāsa. The news of the exile of Śrī Rāma spread like wild-fire and many brahmins flocked to the place and Śrī Rāma gave them immense riches. Wife of Gārgya heard the news only late and as soon as she heard the same she called her husband from the fields where he was working and taking away from him the implements sent him post-haste to the place of Śrī Rāma. Trijaṭa as soon as he came to the presence of Rāma told him the purpose of his visit. Huge herds of cows were then grazing on the banks of the Yamunā river. Śrī Rāma told Gārgya to take a stump and throw it with all his strength. He did so and Śrī Rāma gave him all the cows grazing up to the place where the stump fell. It was a big lot and Gārgya became prosperous from that day onwards. [Sarga 32, Ayodhyā Kāṇḍa, Vālmīki Rāṁāyaṇa] .
3) Gārgya's precepts on Dharma.
The following are the precepts laid down by Gārgya on Dharma.
(1) Be interested always on entertaining your guests,
(2) Do not eat meat,
(3) Do not give injury to cows and brahmins,
(4) Perform yajña with a pure mind and pure body. [M. B. Anuśāsana Parva, Chapter 127] .
4) Gārgya's place in the line of preceptors.
Vyāsa expounded the Vedas to Vedamitra, Saubhari and Śākalya. Śākalya taught what he learnt to Vātsyāyana, Maudgalya, Śāli, Ādiśiśira, Gokhali and Yātukarṇa, Yātukarṇa taught Nirukta to Bāṣkala, Krauñca, Vaitāla, and Vīraja. Bāṣkala combined all the other branches together and made ‘Bālakhilyaśākhā’ and taught it to Bālāyini, Gārgya and Saṁsāra. The Ṛgvedācāryas are those from Vyāsa to Saṁsāra. [Bhāgavata, Daśama Skandha] .
5) Indrasabhā and Gārgya.
Gārgya was a shining member of the Indrasabhā. [Śloka 18, Chapter 7, Sabhā Parva, M. B.] .
GĀRGYA II   See under Bālāki.
GĀRGYA(M)   A place of habitation of ancient Bhārata. This place was captured by Śrī Kṛṣṇa. [Chapter 11, Droṇa Parva] .

गार्ग्य     

गार्ग्य n.  एक ऋषिपरंपरा । गर्ग परंपरा के लोग गार्ग्य नाम से प्रथित हुवे । वेद, प्रतिशाख्य, यज्ञ, व्याकरण, ज्योतिष, धर्मशास्त्र आदि विषय में उनके ग्रंथ तथा विचार उपलब्ध है । यह कार्य एक का नही । परंपरा में आये अनेक शिष्यप्रशिष्य द्वारा यह संपन्न हुआ, इस में संदेह नही । यहॉं केवल निर्देश किये है । काल तथा भिन्नता प्रकट करना अशक्य है । एक व्याकरणकार । पाणिनि ने तीन बार इसका उल्लेख किया है [पा. सू. ७.३. ९९, ८.३. २०, ४. ६७] । ऋक्प्रातिशाख्या तथा वाजसनेय प्रातिशाख्या में भी गार्ग्यमत उध्दृत किया है [ऋ. प्रा.१३.३०] । निरुक्त में भी गार्ग्यमत है [नि. १.३.१२,३.१३] । यास्क यथा रथीतर के साथ इसका निर्देश है [बृहद्देवता १.२६] । सामवेद का पदपाठ गार्ग्यविरचित है । सामवेद परंपरा में शर्वदत्त का गार्ग्य पैतृक नाम है । सामवेदियों के उपाकर्माग तर्पण में इसका नाम है (जैमिनी देखिये) । एक गृह्यकर्मविशारद । शांत्युदक तथा मधुपर्क विषयक इसके मत उपलब्ध [कौ. सू. ९.१०, १३. ७,१७.२७] । एक तत्त्वज्ञ । यह गौतम शिष्य था । इसका शिष्य अगिवेश्य [बृ. उ.४.६.२] । एक ज्योतिषी के नाते हेमाद्रि ने इसका निर्देश किया है (C.C) । मेरु कर्णिका ऊर्ध्ववेणीकृत आकार की है [वायु. ३४. ६३] , । यह ज्योतिषशास्त्रीय सिद्धान्त इसने प्रस्थापित किया । यह अंगिराकुल का एक गोत्रकार तहा मंत्रकार है । परंतु ऋग्वेद में गार्ग्य का मंत्र नही है ।
गार्ग्य n.  वृद्धयाज्ञवल्क्य एक श्लोक विश्वरुपरचित विवरण नामक ग्रंथ में है । उसमें उल्लेख है कि यह धर्मशास्त्रकार है (१. ४-५) । गार्ग्य के ग्रंथ का एक वचन लिया गया है, उससे पता चलता है कि, गार्ग्य का धर्मशास्त्र पर कोई ग्रंथ अवश्य उपलब्ध होगा । अपरार्क, स्मृतिचंद्रिका, मिताक्षरा आदि ग्रंथों में श्राद्द्ध, प्रायश्चित्त तथा आह्रिक आदि विषयों पर इसके उद्धरण लिये गये है । पाराशरधर्मशूत्र में मी यह धर्मशास्त्रकार है, यों उल्लेख है । अपरार्क में इसके ग्रंथ से ज्योतिविषयक श्लोक भी लिये गये है । गर्गसंहिता के ज्योतिषविषयक श्लोक भी प्राप्त हुए है । स्मृतिचन्द्रिका में ज्योतिर्गार्ग्य एवं बृहद्‍गार्ग्य इन दो ग्रंथों का उल्लेख हुआ है । नित्याचारप्रदीप में गर्ग तथा गार्ग्य नामक दो भिन्न स्मृतिकारों का उल्लेख है । पूरुवंश के गर्ग तथा शिनि की संतति को गार्ग्य यह सामान्यनाम दिया जाता था । यह क्षत्रिय थे, परंतु तप से वे गार्ग्य तथा शैन्य नाम के ब्राह्मण हो गये थे [भा.९.२१.१९] ;[विष्णु.४.१९.९] । केकयदेशाधिपति युधिजित् राजा का गार्ग्य नामक पुरोहित था । यह युधाजित् । राजा की ओर से गंधर्वदेश जीतने के लिये राम के पास आया था । उसने तक्ष तथा पुष्कलों की सहायता से यह कार्य पूर्ण किया [वा.रा.यु.१००]
गार्ग्य (बालाकि) n.  गर्गगोत्रीय बलाक नामक ऋषि का पुत्र । अपने ब्रह्मज्ञान के प्रति अभिमानी बन कर, काफी स्थानो पर इसने अपने ज्ञान के प्रशंसा की । एकबार काशिराज अजातशत्रु के पास जा कर इसने उससे कहा, “मैं तुम्हें बताता हूँ कि ब्रह्म क्या है’। अजातशत्रु ने उस ज्ञान के बदले इसे हजार गायें देने का निश्चय किया । तब बालाकि ने प्रतिपादन प्रारंभ किया, परंतु अजाताशत्रु ने इसके सब तत्त्वों का खंडन किया । तब अपने गर्व के प्रति लज्जित हो कर इसने अजातशत्रु को ब्रह्मज्ञानकथन की प्रार्थना की । तब अजातशत्रु ने कहा, ‘अध्यापन क्षात्रधर्म के विरुद्ध है । इसलिये मैं इस राजसिंहासन का त्याग करता हूँ । तुम इसका स्वीकार करो, तब मैं अध्यापन योग्य बनूंगा’। ऐसा करने के बाद, अजातशत्रु ने बालाकि को ब्रह्मविद्या प्रदान की [कौ. उ.४.१] । इसे दृप्तबलाकि भी कहते थे [श. ब्रा.१४.५.१]
गार्ग्य II. n.  एक ऋषि । रुद्र ने ययाति को एक सोने का रथ दिया । वह रथ उसके कुल में प्रथम जनमेजय पारिक्षित तक था । परंतु गार्ग्य के एक अल्पवयीन पुत्र ने उसे कुछ कहा, तब जनमेजय ने उसका वध कर दिया । तब गार्ग्य ने उसे शाप दिया दिया तथा वह रथ जनमेजय के पास से चेदिपति वसु के पास गया । उसके बाद, वह रथ जरासंध, भीम तथा अंत में कृष्ण के पास गया [वायु. ९३.२१-२७] ;[ह. वं. १.३०]
गार्ग्य III. n.  विश्वामित्र के पुत्रों में से एक का नाम [म. अनु. ७.५५.कुं.]
गार्ग्य IV. n.  एक ऋषि । वृकदेवी नामक त्रिगर्त राजा की कन्या शिशिरायण गार्ग्य को दी थी । गार्ग्य पुरुष है अथवा नहीं, यह देखने का उसने प्रयत्न किया । परंतु बारह वर्ष की कडी तपश्चर्या के कारण, इसका वीर्य स्खलित नहीं हुआ । इससे सबकी कल्पना ऐसी हुई कि, यह नपुंसक है । बाद में दक्षिण में जा कर इसने शंकर की आराधना की तथा यादवों का पराभव करनेवाला पुत्र मॉंग लिया । तब ग्वालकन्या गोपाली से इसे कालयवन नामक महापराक्रमी पुत्र हुआ [विष्णु.५.२३] ;[ह. वं.१.३५.१२] । अनु कई स्थानों में इस कथा का उल्लेख है (कालयवन देखिये) । इसे क्वचित् गर्ग भी कहा गया है । इसे यादवों का उपाध्याय कहा है । यादवों के उपाध्याय को गर्ग तथा कुलनाम गार्ग्य दोनों लगाते थे (वृद्धगर्ग तथा वृद्धकन्या देखिये) । इसने धर्म को धर्मरहस्य बताया [म. अनु. १९०.९. कुं.]
गार्ग्य V. n.  (सो. काश्य.) । वायु के मतानुसार वेणुहोत्रपुत्र । भर्ग तथा भार्ग इसके नामांतर है । शर्वदत्त गार्ग्य, शिशिपरायण गार्ग्य, तथा शौर्ययणि गार्ग्य देखिये ।

गार्ग्य     

A dictionary, Marathi and English | Marathi  English
gārgya m A tribe of Bráhmans or an individual of it.

गार्ग्य     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
गार्ग्य  mfn. mfn.fr.गर्ग, [AV.Pariś. lxxi, 23]
°र्गी   ifc. (after numerals) for cf.दश-, पञ्च-
गार्ग्य  m. m. ([Pāṇ. 4-1, 105] ) patr.fr.गर्गN. of several teachers of Gr., of the ritual &c. (one is said to be the author of the पद-पाठ of the [SV.] ; [Nir. iv, 4] Sch.), [ŚBr. xiv, 5, 1, 1] ; [BṛĀrUp.] ; [Lāṭy.] ; [ĀśvGṛ.] ; [ŚāṅkhGṛ.] ; [Prāt.] ; [Kauś.] &c. (वृद्ध-ग्°, ‘the old गार्ग्य[MBh. xiii &c.] )
N. of a king of the गन्धर्वs, [R. vi, 92, 70]
गार्ग्य  m. m. pl.N. of a people, [MBh. vii, 396.]

गार्ग्य     

गार्ग्य [gārgya] a.  a. Descended from Garga.

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