शाल्व n. (सो. क्रोष्टु.) एक दानव अथवा दैत्य, जो सौभ देश का अधिपति था
[ह. वं. २.५२] ;
[अग्नि. २७६.२२, म. व. २१.५] । किंतु भागवत के अनुसार ‘सौभ’ इसके विमान का नाम था, जिस कारण इसे ‘सौभपति’ नाम प्राप्त हुआ था
[भा. १०.७६] । महाभारत में इसे मार्तिकावत का राजा कहा गया है, जो नगर अबू पहाडी के समीप स्थित था
[म. व. १५.१६, २१.१४] । इसे यौगंधरि नामांतर भी प्राप्त था । यह चेदिराज शिशुपाल राजा का भाई था
[म. व. १५.१३] । किंन्तु भागवत में इसे शिशुपाल राजा का मित्र कहा गया है
[भा. १०.७६] । यह प्रारंभ से ही मगधराज जरासंध का पक्षपाती, एवं कृष्ण का विरोधक था । इसी कारण, महाभारत एवं पुराणों में इसे दानव एवं दैत्य कहा गया होगा (साल्व देखिये) ।
शाल्व n. प्रथम से ही जरासंध कृष्ण से अत्यधिक डरता था । किस प्रकार कृष्ण का वध किया जा सकता है, इसके षड्यंत्र वह रातदिन रचाया करता था । एक बार इसने गार्ग्य ऋषि को रुद्रप्रसाद से प्राप्त हुए कालयवन के द्वारा कृष्ण का वध कराने की सलाह जरासंध को दी। पश्चात् जरासंध की ओर से यह स्वयं कालयवन के पास गया, एवं इसने उससे कृष्ण का वध करने की प्रार्थना की। इस प्रार्थना के अनुसार, कालवयवन ने कृष्ण को काफ़ी त्रस्त कर, उसे अपनी मथुरा राजधानी के त्याग करने पर विवश किया । किंन्तु अंत में कृष्ण ने मुचुकंद राजा के द्वारा कालयवन का वध कराया
[ह. व. २.५२-५४] ; कालयवन देखिये ।
शाल्व n. रुक्मिणी स्वयंवर के समय, यादवों के द्वारा जरासंध एवं शाल्व पुनः एक बार परास्त हुए। तत्पश्चात् एक वर्ष के कालावधि में समस्त पृथ्वी को ‘निर्यादव’ करने की घोर प्रतिज्ञा इसने की, एवं तत्प्रीत्यर्थ रुद्र की तपस्या प्रारंभ की। इसकी तपस्या से प्रसन्न हो कर, रुद्र ने इसे मयासुर के द्वारा निर्मित ‘सौभ’ विमान प्रदान किया, जो देवासुरों के लिए अजेय एवं अदृश्य होने की दैवी शक्ति से युक्त था ।
शाल्व n. पश्चात् कृष्ण जब पांडवों के राजसूय यज्ञ के लिए हस्तिनापुर गया था, यही सुअवसर समझ कर इसने द्वारका नगरी पर आक्रमण किया । उस समय इसने सत्ताइस दिनों तक कृष्णपुत्र प्रद्युम्न से युद्ध किया, एवं इस युद्ध में विजयी हो कर यह अपने नगर को लौट आया ।
शाल्व n. कृष्ण को यह घटना ज्ञात होते ही, उसने इसके वध का निश्र्चय कर इस पर आक्रमण किया । इसने सौभ विमान की सहायता से कृष्ण के साथ अनेक प्रकार के मायावी युद्ध के प्रयोग किये, यहाँ तक की कृष्णपिता वसुदेव के मृत्यु का मायावी दृश्य भी कृष्ण के सम्मुख प्रस्तुत किया
[भा. १०.७७] । किंतु अंत में कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से इसके ‘सौभ’ विमान का विच्छेद किया, एवं इसका वध किया
[म. व. १५-२३] ;
[भा. १०.७६-७७] ।
शाल्व n. वाराणसी के काशिराज की तीन कन्याओं में से अंबा ने इसका वरण किया था । किंतु अंबा के स्वयंवर के समय, भीष्म ने अंबा का एवं अंबिका एवं अंबालिका नामक उसके दो बहनों का भी हरण किया । उस समय इसने भीष्म का पीछा कर उससे युद्ध करना चाहा। किंतु इस युद्ध में भीष्म ने इसे परास्त किया । पश्चात् भीष्म की अनुज्ञा प्राप्त कर अंबा इसके पास आयी, एवं इससे विवाह करने के लिए उसने इसका बार बार अनुनय-विनय किया । किंतु भीष्म ने इसका हरण करने के कारण, उससे विवाह करने से इसने साफ इन्कार कर दिया ।
शाल्व n. इस युद्ध में यह कौरवों के पक्ष में शामिल था । इसका हाथी, पर्वत के समान विशालकाय, ऐरावत के समान शक्तिशाली, एवं महाभद्र नामक सुविख्यात गजकुल में उत्पन्न हुआ था
[म. श. १९.२-३] । इसी हाथी पर आरूढ हो कर, इसने पांडवसेना पर आक्रमण किया, एवं उसमें हाहाःकार मचा दिया । पश्चात् इसने धृष्टद्युम्न पर आक्रमण किया, एवं उसके रथ को कुचल डाला। पश्चात् धृष्टद्युम्न के द्वारा इसके हाथी का, एवं सात्यकि के द्वारा इसका वध हुआ
[म. श. १९.२५] ।
शाल्व II. n. एक म्लेंच्छ राजा, जो वृषपर्वन् के छोटे भाई अजक के अंश से उत्पन्न हुआ था
[म. आ. ६१.१७ पाठ] ;
[म. व. १९.१] ।
शाल्व III. n. पांडवपक्ष का एक योद्धा, जो कौरवपक्षीय भीमरथ राजा के द्वारा मारा गया था । यह भीमरथ धृतराष्ट्रपुत्र भीमरथ से भिन्न था
[म. द्रो. २४.२६] ।
शाल्व IV. n. तीन राजाओं का एक समूह, जो व्युषिताश्र्व राजा की पत्नी भद्रा ने अपने पति की मृत्यु के पश्चात्, उसके मृतदेह से उत्पन्न किये थे
[म. आ. ११२.३३] ।
शाल्व V. n. एक लोकसमूह, जो भारतीय युद्ध में पांडवों के पक्ष में शामिल था
[म. द्रो. १२९.७] । ये लोग जरासंध के भय से दक्षिण दिशा में भाग गये थे
[म. स. १३. २४-२६] । इन योद्धाओं ने द्रोण पर आक्रमण किया था ।
शाल्व VI. n. एक असुर, जो सिंहिका का पुत्र होने के कारण ‘सिंहिकापुत्र’ अथवा ‘सैंहिकेय’ नाम से सुविख्यात था । शिव की आज्ञा से परशुराम ने इसका वध किया
[विष्णुधर्म. १.३७.३८-३९] ।
शाल्व VII. n. एक दैत्य, जिसने अपने अनाचार के कारण वैदिक धर्म का उच्छेद किया था । इसी कारण श्रीविष्णु ने संभलग्राम में विष्णुमशस् नामक ब्राह्मण के घर अवतार ले कर इसका वध किया
[स्कंद. १.२.४०] । इस कथा का संकेत संभवतः विष्णु के कल्कि अवतार की ओर प्रतीत होता है (विष्णुयशस् कल्कि देखिये) ।
शाल्व VIII. n. शाल्वदेश के द्युतिमत् राजा का नामांतर (द्युतिमत् देखिये) ।