अब लक्ष्मी पूजन करने के लिए पूर्व स्थापित लक्ष्मी जी की तस्वीर के पास चॉंदी की कटोरी में अथवा अन्य बर्तन में चॉंदी के सिक्के अथवा प्रचलित रुपए के सिक्कों को कच्चे दूध एवं पंचामृत से स्नान कराएँ एवं फिर पुष्प एवं चावल दाहिने हाथ में लेकर श्री महालक्ष्मी का आवाहन निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए करें ।
जयजगजननी , जय , रमा , विष्णुप्रिया जगदम्ब ।
बेग पधारो गेह मम , करो न मातु विलम्ब ॥
पाट विराजो गेह मम , भरो अखण्ड भंडार ।
श्रद्धा सहित पूजन करूँ , करो मातु स्वीकार॥
मातु लक्ष्मी करो कृपा , करो हृदय में वास ।
मनोकामना सिसद्ध करो , पूरण हो मेरी आस ॥
यही मोरि अरदास , हाथ जोड़ विनती करूँ ।
सब विधि करों सुवास , जय जननी जगदम्बा ॥
सब देवन के देव जो , हे विष्णु महाराज ।
हो उनकी अर्धांगिनी , हे महालक्ष्मी आप ॥
मैं गरीब अरजी धरूँ ; चरण शरण में माय ।
जो जन तुझको पूजता , सकल मनोरथ पाय ॥
आदि शक्ति मातेश्वरी , जय कमले जगदम्ब ।
यहॉं पधारो मूर्ति में , कृपा करो अविलम्ब ॥
इस प्रकार दोनों हाथों से पुष्प एवं चावल लक्ष्मी जी के पास छोड़े और तीन बार जल के छीटें दे और उच्चारण करें ।
पाद्य स्वीकार करें , अर्घ्य स्वीकार करें , आचमन हेतु जल स्वीकार करें ।
नमस्कार करते हुए मन्त्र कहें :
पाद्य अर्घ्य व आचमन का जल है यह तैयार ।
उसको भी माँ प्रेम से , कर लो तुम स्वीकार ॥
इसके पश्चात् ‘दुग्ध स्नान स्वीकार करें ’ कहते हुए दूध के छींटें दें तथा पंचामृत से स्नान करवाते हुए निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें ।
दूध , दही घी , मधु तथा शक्कर से कर स्नान ।
निर्मल जल से कीजियो , पीछे शुद्ध स्नान ॥
वस्त्र स्वीकार करें ऐसा कहते हुए मौली चढ़ाएँ तथा निम्नलिखित मन्त्र से प्रार्थना करें ।
कुंकुम केसर का तिलक , और माँग सिन्दूर ।
लेकर सब सुख दीजियो , कर दो माँ दुःख दूर ॥
नयन सुभग कज्जल सुभग , लो नेत्रों में डाल ।
करो चूडियों से जननी , हाथों का श़ृंगार ॥
अक्षता स्वीकार करें , कहते हुए चावल चढ़ाएँ ।
‘ पुष्प स्वीकार करें ’ कहते हुए पुष्प अर्पित करें ।
धूप स्वीकार करें , कहते हुए धूप करें तथा निम्नलिखित मन्त्र से प्रार्थना करें ।
गन्ध अक्षत के बाद में , यह फूलों का हार ।
धूप सुगन्धित शुद्ध घी का , दीपक है तैयार ॥
‘ दीप ज्योति का दर्शन करें ’, कहते हुए दीपक दिखाएँ ।
‘ मिष्टान्न एवं ऋतुफल स्वीकार करें ’, कहते हुए प्रसाद चढ़ाएँ तथा निम्नलिखित मन्त्र से प्रार्थना करें ।
भोग लगाता भक्ति से , जीमो रुचि से धाप ।
करो चुल्लू ऋतफल सुभग , आरोगो अब आप ॥
‘ आचमन हेतु जल स्वीकार करें ’, कहते हुए पान सुपारी चढ़ाएँ तथा निम्नलिखित मन्त्र से प्रार्थना करें ।
ऐलापूगी लवंगयुत , माँ खालो ताम्बूल ।
क्षमा करो मुझसे हुई , जो पूजा में भूल ॥
‘ दक्षिणा स्वीकार करें ’, कहते हुए नकदी चढ़ाएँ और निम्नलिखित मन्त्र से प्रार्थना करें ।
क्या दे सकता दक्षिणा , आती मुझको लाज ।
किन्तु जान पूजांग यह , तुच्छ भेंट है आज ॥
नमस्कार करें और निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें ।
विष्णुप्रिया सागर सुता , जनजीवन आधार ।
गेह वास मेरे करो , नमस्कार शतवार ॥
इसके पश्चात् दीपमालिका पूजन करें । जो व्यक्ति सायंकाल (प्रदोषकाल ) में लक्ष्मी पूजन करते हैं , वे लक्ष्मी पूजन करने के पश्चात् तथा जो व्यक्ति रात्रि में पूजन करते हैं , उन्हें सायंप्रदोषकाल में दीपकों का पूजन अपनी पारिवारिक परम्परा के अनुसार करना चाहिए । एक बड़े थाल के बीच में बड़ा दीपक तथा अन्य छोटे दीपकों को शुद्ध जल से स्नान करवाकर रखें । उसमें शुद्ध नई रुई की बत्ती बनाकर सरसों के तेल या तिल्ली के तेल से प्रज्वलित करें और दाहिने हाथ में अक्षत एवं पुष्प अर्पित करते हुए निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें ।
हे दीपक ! तुम देव हो , कर्मसाक्षी महाराज ।
जब तक पूजन पूर्ण हो , रहो हमारे साथ ॥
शुभ करो कल्याण करो आरोग्य सुख प्रदान करो ।
बुद्धि मेरी तीव्र करो , दीप ज्योति नमस्कार हो ॥
आत्म तत्त्व का ज्ञान दो , बोधिसत्व प्रकाश दो ।
दीपावली समर्पित तुम्हें , मातेश्वरी स्वीकार करो ॥
इस मन्त्र का उच्चारण कर दीपकों को नमस्कार करें एवं जल के छीटें दें । इसके पश्चात् लक्ष्मी जी की आरती करने के लिए दिपकों में से बड़ा दीपक लक्ष्मी जी के सामने रखें तथा आरती करें :