महालक्ष्मी पूजन करने के पश्चात एकाक्षी नारियल का पूजन करना चाहिए । सर्वप्रथम हाथ में अक्षत लेकर निम्नलिखित मन्त्र से एकाक्षी नारियल का ध्यान करें :
द्विजटश्चैकनेत्रस्तु नारिकेलो महीतले ।
चिन्तामणि -सम : प्रोक्तो वांछितार्थप्रदानतः ॥
आधिभूतादि -व्याधीनां रोगादि -भयहारिणीं । विधिवत क्रियते पूजा , सम्पत्ति -सिद्धिदायकम ॥
हाथ में लिए अक्षतों को एकाक्षी नारियल पर चढा दें । अब एकाक्षी नारियल का पूजन निम्न प्रकार से करें :
तीन बार जल के छींटे दें और बोलें : पाद्यं , अर्घ्यं , आचमनीयं समर्पयामि ।
स्नानं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर जल के छींटे दें ।
पंचामृत स्नानं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर पंचामृत के छींटे दें ।
पंचामृतस्नानान्ते शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल को शुद्ध जल से स्नान कराए ।
सिन्दूरं समर्पयामि । घी मिश्रित सिन्दूर का लेप करें और वर्क चढाए ।
सुवासितं इत्रं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर इत्र चढाए ।
वस्त्रं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर मौली चढाए ।
गन्धं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर रोली अथवा लाल चन्दन चढाए ।
अक्षतान समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर चावल चढाए ।
पुष्पं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर पुष्प चढाए ।
धूपम आघ्रापयामि । एकाक्षी नारियल पर धूप करें ।
दीपकं दर्शयामि । एकाक्षी नारियल को दीपक दिखाए ।
नैवेद्यं निवेदयामि । एकाक्षी नारियल पर प्रसाद चढाए ।
आचमनं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर जल के छींटे दें ।
ऋतुफलं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर ऋतुफल चढाए ।
ताम्बूलं समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर पान , सुपारी , इलायची आदि चढाए ।
दक्षिणां समर्पयामि । एकाक्षी नारियल पर नकदी चढाए ।
कर्पूरनीराजनं समर्पयामि । कर्पूर से आरती करें ।
नमस्कारं समर्पयामि । नमस्कार करें ।
अन्त में निम्नलिखित मन्त्र से हाथ जोडकर प्रार्थना करें :
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं महालक्ष्मीस्वरुपाय एकाक्षिनारिकेलाय नमः सर्वसिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ॥