रविवार का फल --- रविवार को प्रश्न करने से राज्य की प्राप्ति होती है । बालकों का यदि प्रश्ना हो तो उसका फल उत्तम कहा गया है । उक्त दिन प्रश्न करने पर तेइस वर्षा की अवस्था के बाद प्रश्नकर्ता को धर्म , अर्था की प्रप्ति तथा ( यश ) लाभ होता है ॥२०॥
प्रश्नकर्ता का हित होता है । आनन्द की प्राप्ति होती है । योग से तत्त्वचिन्तन होता है , इत्यादि रविवार के फल हैं । हे शुभे !
किन्तु वृद्धों द्वारा रविवारा को प्रश्न किए जाने पर अशुभ फल होता है ॥२१॥
सोमवार का फल --- सोमवार के दिन प्रश्न करने परा प्रश्नकर्ता को रत्न की प्राप्ति होती है । देवता को सुगन्धित पुष्प चढ़ाने से पूर्ण सुख मिलता है । यदि बाला स्त्री प्रश्न करे तो नवकन्यका की प्राप्ति तथा शुभ फल प्राप्त होता है। उसे मुद्रा तथा आरोग्य भी मिलता है । पुरुष कैवल्य प्राप्ति की चेष्टा करता है । राजपत्नी से प्रेम तथा प्रेमालाप की प्राप्ति होती है । वाञ्छा एवं पुण्य तथा सुखास्पद वाले उस व्यक्ति को विमल भक्ति प्राप्त होती है । ऐसा सोमवार के दिन प्रश्न करने का फल है ॥२२॥
मङ्गलवार का फल --- पृथ्वी पुत्र ( मङ्गल ) का मुख रुधिर के समान लाल है । वह प्रश्नकर्ता बालिक या बालिका के प्रधान कार्या को विनष्ट करा देते हैं । वासनाओं में सहसा साहसा उत्पन्न करता है और उसे विनष्ट भी कर देता है । उसके समस्त कार्य विफल हो जाते है , शोक संताप का सार प्रदान करता है । बहुत क्या कहना , भूमिवार मङ्गल के दिन प्रश्न करने पर मोक्ष तथा पुण्य की ओर साधका से चेष्टा करवाते हैं ॥२३॥
बुधवार का फल --- वारों में प्रधान बुधवार को प्रश्न करने पर प्रश्नकर्ता महान् पुण्य पुञ्ज प्राप्त करता है । वह कालदोष , दुर्बलता महाघोर दुःख प्राप्त करता है और वह धनिक शत्रुओं के महावीर्य युक्त अभिमान का भाजन बनता है ॥२४॥
गुरुवार का फला --- गुरुवार के दिन प्रश्न करने पर प्रश्नकर्ता सुरों के तथा देवताओं के विविध धन का लाभ प्राप्त करता है । उसका वितरण भी करता है । प्रताप , सत्कीर्ति तथा विधानपूर्वक किए गये यज्ञादि का फल पाता है । उसका परिवार आनन्दपूर्वक फूलता फलता है । अपने समरस वाले ( समरवसगत ?) आनन्दपूर्ण ह्रदय में प्रतिष्ठा तथा सद्धर्म प्रसन्नता पूर्वका प्राप्त करता है । यहागुरुवार के प्रश्न का फल है ॥२५॥
शुक्रवार का फल --- शुक्रवारा जैसे सुन्दर दिन में प्रश्नकर्ता मन्दार माला से परिपूर्ण शरीर धारण करने वाला , दवेताओं में प्रीति रखने वाला , स्वर्गगामी और श्री भगवान् के चरण कमलों में भक्ति प्राप्त करने वाला होता है --- यह सत्य है ।
शनैश्चर के दिन प्रश्न करने वाला भय प्राप्त करता है । भुवन के मोहादि दोषों से ग्रस्त रहता है । राजा के प्रिय पुत्र का प्रिय होता है । उसके नेत्र सुन्दर होते हैं । स्त्री सुख की प्रप्ति विशिष्ट जल देने वाले बादल के समान , समय आने परा सिधि - ऋद्धि की प्राप्ति का फल कहा गया है । यदि मनुष्य अर्कज ( शनि ) का जप पूजा पाठ करे तो उसे सब समृद्धि प्राप्त होती है ; हे प्रभो ! क्योंकि वे विशिष्ट कामना के फल देने वाले हैं ॥२६ - २७॥
रविवार का फल --- अब फिर रविवार का फल कहती हूँ । उनका फल अत्यन्त दुःखास्पद है ये रवि प्रचण्ड किरणों वाले हैं । सदैव ताप से विकल लोगों के रोगों के रोगों को दूर करने वाले है , जो मनुष्य इस प्रकारा प्रचुर ताप तथा शाप के आकर सूर्य भगवान् का भजन करता है वह कभी भी विनष्ट नहीं होता ॥२८॥
सोमवार का फल --- अब हे भैरव ! कलाधर ( चन्द्रमा ) सोमवार के फल को पुनः सुनिए । यह फल प्रणव से बाहर सूक्ष्माश्रय वाला है । इसी में समस्त ग्रहों का फल समाहित है । यहा सभी फलों में ग्रह संज्ञा फला है । सोमवार के दिन प्रश्नकर्ता गम्भीर वचन बोलने वाला और राजा का प्रिय करने वाले की रक्षा करता है । यदि वह पुरुष सोम का भजन पूजन करे तो कलि में शुभ एवं शान्ति की प्राप्ति होती है ? ॥२९॥