कवर्ग में प्रश्न करने वाला काम सम्पत्ति तथा श्री ( लक्ष्मी ) से परिपूर्ण सुन्दर एवं धवल गृह प्राप्त करता है । यह कामचक्र में कहा गया अर्थ है और राशि तथा नक्षत्र से भी सम्मत है ॥७७॥
चवर्ग में प्रश्न करने वाला दीर्घजीवी होता है , पर्याप्त सम्पत्ति प्राप्त करता है , विदेशादि में गमन से उत्तम वृत्ति प्राप्त करता है किसी शरीरधारी का आश्रय लिए बिना वह अपनी यात्रा में अपने परिवार का समाचार प्राप्त करता है , इस प्रकार प्रवास गमन में उसे लाभ प्राप्त होता है ॥७८॥
हे नाथ ! टवर्ग में प्रश्न करने पर बहुत बडा़ उच्चाटन प्राप्त करता है , त वर्ग में प्रश्न करने पर पुत्रादि की वृद्धि तथा धन का लाभ होता है ॥७९॥
हे नाथ ! पवर्ग में प्रश्न करने से मरण की प्राप्ति होती है , य से लेकर क्षान्त वर्णों में प्रश्न करने पर साधक महागुणी हो
जाता है ॥८०॥
हे नाथ ! कामचक्र के फल को राशि तथा दण्ड से युक्त करना चाहिए दिन में दण्ड के अनुसार अपने गेह में स्थित राशि तक ज्ञानी अनुलोम विलोम क्रम से ( दायें तथा बायें क्रम ) से गणना करे । कुम्भ में रहने वाला सभी सान्धिकोणस्थ , वर्ण तथा पार्श्व में रहने वाले वर्ण ये सभी शुभ कारक है । साधक शुभ मन्त्र के ग्रहण से ही सिद्धि प्राप्त करता है ॥८१ - ८३॥