अष्टादश पटल - वर्गे वर्गे फलकथन

रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।


कवर्ग में प्रश्न करने वाला काम सम्पत्ति तथा श्री ( लक्ष्मी ) से परिपूर्ण सुन्दर एवं धवल गृह प्राप्त करता है । यह कामचक्र में कहा गया अर्थ है और राशि तथा नक्षत्र से भी सम्मत है ॥७७॥

चवर्ग में प्रश्न करने वाला दीर्घजीवी होता है , पर्याप्त सम्पत्ति प्राप्त करता है , विदेशादि में गमन से उत्तम वृत्ति प्राप्त करता है किसी शरीरधारी का आश्रय लिए बिना वह अपनी यात्रा में अपने परिवार का समाचार प्राप्त करता है , इस प्रकार प्रवास गमन में उसे लाभ प्राप्त होता है ॥७८॥

हे नाथ ! टवर्ग में प्रश्न करने पर बहुत बडा़ उच्चाटन प्राप्त करता है , त वर्ग में प्रश्न करने पर पुत्रादि की वृद्धि तथा धन का लाभ होता है ॥७९॥

हे नाथ ! पवर्ग में प्रश्न करने से मरण की प्राप्ति होती है , य से लेकर क्षान्त वर्णों में प्रश्न करने पर साधक महागुणी हो

जाता है ॥८०॥

हे नाथ ! कामचक्र के फल को राशि तथा दण्ड से युक्त करना चाहिए दिन में दण्ड के अनुसार अपने गेह में स्थित राशि तक ज्ञानी अनुलोम विलोम क्रम से ( दायें तथा बायें क्रम ) से गणना करे । कुम्भ में रहने वाला सभी सान्धिकोणस्थ , वर्ण तथा पार्श्व में रहने वाले वर्ण ये सभी शुभ कारक है । साधक शुभ मन्त्र के ग्रहण से ही सिद्धि प्राप्त करता है ॥८१ - ८३॥

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Last Updated : July 29, 2011

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