हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|समर्थ रामदासकृत हिन्दी पदे| संतसंग समर्थ रामदासकृत हिन्दी पदे श्रीराम श्रीकृष्ण मुरली गवळणी संतसंग करुणा भक्तिपर पदें उपदेशपर पदें अध्यात्मपर पदें हिन्दी पदे - संतसंग समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत. Tags : hindipadramdassamarthपदरामदाससमर्थहिन्दी संतसंग Translation - भाषांतर १( राग - काफी; ताल - दीपचंदी ) गुनीजन अपना है रे भाई । काय करूं लोक दुनियाई ॥ध्रु.॥ज्या गुनमें मन मगन होत है । जो गुन ज्याके मनमें ।बहुत गारमें हीरा जैसा तैसा हय सो जनमें ॥१॥गुन न जाने सा लोक बिराने । ऐसी बात है मनकी ।रसिक कहे समजो रे भाई । धन्य धन्य गुनिजनकी ॥२॥खंड खंड बन बहुत तरूवर । कल्पतरू सो नहीं ।रसीक कहे समजो रे भाई । ऐसी बात दुनियाई ॥३॥२( राग - पूर्वी; ताल - त्रिवट ) प्रगट कोन करे । राम । प्रगट कोन करे ॥ध्रु.॥आगम निगम शेष बिरंची । ताकू भूलि परे ॥१॥अलख निरंजन सबजनमां ही । देखत रूप सरे ॥२॥दास कहे गम सतसमागम । अंतरमो हि धरे ॥३॥३( रा - कानडा; ताल - त्रिवट ) कोई एक गैबी आया बे । देखत जब तब भात ॥ध्रु.॥आलम दुनिया समजत नहीं । आलम दुनिया चलावे ॥१॥रजबिन झारकी पात न हाले । अजब सूरत पाख ॥२॥जोग चलावे भोग चलावे । बुझत हरिजन थाक ॥३॥बंदेकमीन कमीन हि किया । धन्य सुरिजनहार ॥४॥ N/A References : N/A Last Updated : December 09, 2016 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP