परिस्थिति-भेदसे शौचमें भेद

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


शौच अथवा शुध्दिकी प्रक्रिया परिस्थितिके भेदसे बदल जाती है । स्त्री और शूद्रके लिये तथा रातमें अन्योके लिये भी यह आधी हो जाती है । यात्रा (मार्ग) में चौथाई बरती जाती है । रोगियोंके लिये यह प्रक्रिया उनकी शक्तिपर निर्भर हो जाती है । शौचका उपर्युक्त विधान स्वस्थ गृहस्थोंके लिये है । ब्रह्मचारीको इससे दुगुना, वानप्रस्थोंको तिगुना और संन्यासियोंको चौगुना करना विहित है ।

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Last Updated : November 25, 2018

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