हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|संध्या-प्रकरण|गायत्री-जपका विधान| षडडन्यास गायत्री-जपका विधान षडडन्यास प्रात:काल ब्रम्हरुपा गायत्रीमाताका ध्यान गायत्रीका आवाहन गायत्रीदेवीका उपस्थान (प्रणाम षडडन्यास प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा षडडन्यास Translation - भाषांतर षडडन्यास-गायत्री मन्त्रके पूर्व षड्डन्यास करनेका विधान है। अत: आगे लिखे एक-एक मन्त्रको बोलते हुए चित्रके अनुसार उन-उन अंगोंका स्पर्श करे-१) ॐ ह्र्दयाय नम: (दाहिने हाथकी पाँचों अँगुलियोंसे हृदयका स्पर्श करे) । २) ॐ भू: शिरसे स्वाहा (मस्तकका स्पर्श करे) ।३) ॐ भुव: शिखायै वषट् (शिखाका अँगूठेसे स्पर्श करे)।४) ॐ स्व: कवचाय हुम् (दाहिने हाथकी अँगुलियोंसे बाये कंधेका और बाये हाथकी अँगुलियोंसे दाये कंधेका स्पर्श करे॥५) ॐ भूर्भुव: स्वः नेत्राभ्यां वौषट् ( नेत्रोंका स्पर्श करे ) ६) ॐ भूर्भुव: स्वः अस्त्राय फ़ट् (बाये हाथकी हथेलीपर दाये हाथको सिरसे घुमाकर मध्यमा और तर्जनीसे ताली बजाये)। N/A References : N/A Last Updated : November 27, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP