गायत्रीदेवीका उपस्थान (प्रणाम
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
आवाहन करनेपर गायत्रीदेवी आ गयी है, ऎसा मानकर निम्नलिखित विनियोग पढकर आगेके मन्त्रसे उनको प्रणाम करे-
गायत्र्यसीति विवस्वान् ऋषि: स्वराण्महापंडिक्तश्छन्द: परमात्मा देवता गायत्र्युपस्थाने विनियोग:।
ॐ गायत्र्यस्येकपदी व्दिपदी त्रिपदी चतुष्पद्यपदसि। न हि पद्यसे नमस्तुते तुरीयाय दर्शताय पदाय परोरजसेऽसावदो मा प्रापत्।
==
(गायत्री-उपस्थानके बाद गायत्री-शापविमोचनका तथा गायत्री मन्त्र-जपसे पूर्व चौबीस मुद्राओंके करनेका भी विधान है, परंतु नित्यसंध्यावन्दनमें अनिवार्य न होनेपर भी इन्हें जो विशेषरुपसे करनेके इच्छुक है, उनके लिये यहाँपर दिया जा रहा है।
N/A
References : N/A
Last Updated : November 27, 2018
TOP