हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|संध्या-प्रकरण|गायत्री-मन्त्र| गायत्री मन्त्रका अर्थ गायत्री-मन्त्र गायत्री मन्त्रका अर्थ जपके बादकी आठ मुद्राऍं गायत्री देवीका विसर्जन संध्योपासनकर्मका समर्पण गायत्री मन्त्रका अर्थ प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा गायत्री मन्त्रका अर्थ Translation - भाषांतर ॐ भूर्भुब : स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात।गायत्री मन्त्रका अर्थ- भूः-सत्, भुवः-चित्, स्व:-आनन्द-स्वरुप, सवितु: देवस्य-सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्माके, तत् वरेण्यं भर्गः-उस प्रसिध्द वरणीय तेजका (हम) ध्यान करते है, य:-जो परमात्मा, नः-हमारी, धियः-बुध्दिको (सत्की ओर) प्रचोदयात्-प्रेरित करे। N/A References : N/A Last Updated : November 27, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP