हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|संध्या-प्रकरण|गायत्री-मन्त्र| संध्योपासनकर्मका समर्पण गायत्री-मन्त्र गायत्री मन्त्रका अर्थ जपके बादकी आठ मुद्राऍं गायत्री देवीका विसर्जन संध्योपासनकर्मका समर्पण संध्योपासनकर्मका समर्पण प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा संध्योपासनकर्मका समर्पण Translation - भाषांतर संध्योपासनकर्मका समर्पण-इसके बाद नीचे लिखा वाक्य पढकर संध्योपासनकर्मको भगवानको समर्पित कर दे’अनेन संध्योपासनाख्येन कर्मणा श्रीपरमेश्वर: प्रीयतां न मम। ॐ त्सत् श्रीब्रह्मार्पणमस्तु।’फ़िर भगवानका स्मरण करे-यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तपोयज्ञक्रियादिषु।न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो वन्दे तमच्युतम्॥श्रीविष्णवे नम: ,श्रीविष्णवे नम: , श्रीविष्णवे नम:॥श्रीविष्णुस्मरणात् परिपूर्णतास्तु।संध्या समाप्त होनेपर पात्रोंमें बचा हुआ जल ऐसे स्थानमें या वृक्षकी जडमें गिरा दे जहाँ किसीका पाँव न पडे। संध्या-समाप्तिके बाद आसनकें नीचे किंचित् जल गिराकर उससे मस्तकमें तिलक करे। N/A References : N/A Last Updated : November 27, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP