संध्योपासनकर्मका समर्पण

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


संध्योपासनकर्मका समर्पण-
इसके बाद नीचे लिखा वाक्य पढकर संध्योपासनकर्मको भगवानको समर्पित कर दे
’अनेन संध्योपासनाख्येन कर्मणा श्रीपरमेश्वर: प्रीयतां न मम। ॐ त्सत् श्रीब्रह्मार्पणमस्तु।’
फ़िर भगवानका स्मरण करे-
यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तपोयज्ञक्रियादिषु।
न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो वन्दे तमच्युतम्॥
श्रीविष्णवे नम: ,श्रीविष्णवे नम: , श्रीविष्णवे नम:॥
श्रीविष्णुस्मरणात् परिपूर्णतास्तु।

संध्या समाप्त होनेपर पात्रोंमें बचा हुआ जल ऐसे स्थानमें या वृक्षकी जडमें गिरा दे जहाँ किसीका पाँव न पडे। संध्या-समाप्तिके बाद आसनकें नीचे किंचित् जल गिराकर उससे मस्तकमें तिलक करे।

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Last Updated : November 27, 2018

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