कृष्णैकादशी
( पद्मपुराण ) - पौष कृष्ण एकादशीको उपवास करके भगवानका यथाविधि पूजन करे । यह सफला एकादशी है; अतः नैवेद्यमें केला, बिजौरा, जंबीरी, नारियल, दाडिम ( अनार ) और पूगफलादि अर्पण करके रात्रिमें जागरण करे । प्राचीन कालमें चम्पावतीके माहिष्मन् राजाका लुम्पक नामक पुत्र कुमार्गी होकर धन - पुत्रादिसे हिन हो गया था । कई वर्ष कष्ट भोगनेके बाद एक रोज ( एकादशीको ) उसने फल बीनकर किसीए पुराने पीपलकी जड़में रख दिये और असमर्थ होनेके कारण खाये नहीं । वह रातभर जागता रहा । इस प्रकार अनायास किये गये व्रतसे भी भगवान् प्रसन्न हुए और उसे उसके पितासे आदरपूर्वक चम्पावतीका राज्य दिला दिया ।