केले के खंभे, पंचपल्लव, कलश, पंचरत्न, चावल, कपूर, धूप, पुष्पो कि माला, श्रीफल, ऋतुफल, अंग वस्त्र, नैवेद्य, कलावा, आम के पत्ते, यज्ञोपवीत, वस्त्र, गुलाब के फूल, दीप, तुलसी दल, पान, पंचामृत (दूध, दही, शहद, शक्कर), केशर, बंदनवार, चौकी, भगवान सत्यनारायणकी तसवीर ।
व्रत करनेवाला पूर्णिमा व संक्रांति के दिन सायंकाल के समय स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा-स्थान मे आसन पर बैठकर श्रद्धापूर्वक श्री गणेश, गौर, वरुण, विष्णु आदि सब देवताओं का ध्यान करके पूजन करे और संकल्प करे कि मै सत्यनारायण स्वामीका पूजन तथा कथा-श्रवण सदैव करूंगा । पुष्प हाथ में लेकर सत्यनारायण का ध्यान करे, यज्ञोपवीत, पुष्प, धूप, नैवेद्य आदि अर्पित कर स्तुति करे- हे भगवन ! मैने श्रद्धापूर्वक फल, जल आदि सब सामग्री आपको अर्पण की है, इसे स्वीकार कीजिए । मेरा आपको बार-बार नमस्कार है । इसके बाद सत्यनारायण जी की कथा पढ़े अथवा श्रवण करे ।