हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|नन्ददास| जो गिरि रुचै तौ बसौ श्रीग... नन्ददास राम-कृष्ण कहिये उठि भोर ।... जो गिरि रुचै तौ बसौ श्रीग... भजन - जो गिरि रुचै तौ बसौ श्रीग... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajannandadasनन्ददासभजन भजन Translation - भाषांतर जो गिरि रुचै तौ बसौ श्रीगोबर्धन गाम रुचै तौ बसौ नँदगाम । नगर रुचै तौ बसौ श्रीमधुपुरी, सोभासागर अति अभिराम ॥१॥ सरिता रुचै तौ बसौ श्रीजमुनातट, सकल मनोरथ पूरन काम । ’नंददास’ कानन रुचै तौ, बसौ भूमि बृंदाबन-धाम ॥२॥ N/A References : N/A Last Updated : December 21, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP