रामज्ञा प्रश्न - षष्ठ सर्ग - सप्तक ७

गोस्वामी तुलसीदासजीने श्री. गंगाराम ज्योतिषीके लिये रामाज्ञा-प्रश्नकी रचना की थी, जो आजभी उपयोगी है ।


असमंजसु बड़ सगुन गत सीता राम बियोग ।

गवन बिदेस कलेस बड़ हानि पराभव रोग ॥१॥

श्रीसीता-रामका वियोग हो जानेसे यह शकुन भारी असमंजसका सूचक है । विदेश जाना होगा, बडा़ कष्ट होगा, हानि पराजय तथा रोगका शिकार बनना होगा ॥१॥

मानिय सिय अपराध बिनु प्रभु परिहरि पछितात ।

रुचै समाज न राज सुख, मन मलीन कृस गात ॥२॥

ऐसा मानना ( विश्वास करना ) चाहिये कि बिना किसी अपराधके श्रीजानकीजीका त्याग करके प्रभु पश्चात्ताप कर रहे है । उन्हें समाज ( में रहना ) तथा राज्यका सुख अच्छा नहीं लगता, चित्त खिन्न रहता है तथा शरीर दुर्बल हो गया है ॥२॥

( प्रश्‍न-फल निकृष्ट है । )

पुत्र लाभ लवकुस जनम सगुन सुहावन होइ ।

समाचार मंगल कुसल सुखद सुनाव‍इ कोइ ॥३॥

लव-कुशका जन्म पुत्र प्राप्तिका सूचक शुभ शकुन है । कोई आनन्द मंगलका सुखदायी समाचार सुनायेगा ॥३॥

राज-सभाँ लवकुस ललित किए राम गुन गान ।

राज समाज सगुन सुभ सुजस लाभ सनमान ॥४॥

लव-कुशने राजसभामें सुन्दर ( मधुर ) स्वरमें श्रीरामके गुणोंका गान किया । यह शुभ शकुन राज-समाजमें सुयश तथा सम्मानकी प्राप्तिका सूचक है ॥४॥

बालमीकि लव कुस सहित आनी सिय सुनि राम ।

हृदयँ हरषु जानब प्रथम सगुन सोक परिनाम ॥५॥

महर्षि वाल्मीकि लव-कुशके साथ सीतजीको ले आये हैं, यह सुनकर श्रीरामके चित्तमें प्रसन्नता हूई । इस शकुनका फल यह जानना चाहिये कि मनमें पहिलें प्रसन्नता, पर अन्तमें शोक होगा ॥५॥

अनरथ असगुन अति असुभ सीता अवनि प्रबेसु ।

समय सोक संताप भय कलह कलंक कलेसु ॥६॥

श्रीजानकीजीका पृथ्वीमें प्रवेश कर जाना अनर्थ करनेवाला अत्यन्त अशुभ अपशकुन है । यह शोक, सन्ताप, भय, झगडे़ अपयश और कष्टका समय है ॥६॥

सुभग सगुन उनचार रस राम चरित मय चारु ।

राम भगत हित सफल सब तुलसी बिमल बिचारु ॥७॥

यह उनचास दोहोंवाला छठा सर्ग रामचरितमय होनेसे ( बडा़ ही ) सुन्दर है । तुलसीदासजी कहते हैं कि शकुन मंगलमय है, रामभक्तोंके लिये प्रत्येक निर्मल ( निष्पाप ) विचार सफल होगा ॥७॥

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Last Updated : January 22, 2014

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