असमंजसु बड़ सगुन गत सीता राम बियोग ।
गवन बिदेस कलेस बड़ हानि पराभव रोग ॥१॥
श्रीसीता-रामका वियोग हो जानेसे यह शकुन भारी असमंजसका सूचक है । विदेश जाना होगा, बडा़ कष्ट होगा, हानि पराजय तथा रोगका शिकार बनना होगा ॥१॥
मानिय सिय अपराध बिनु प्रभु परिहरि पछितात ।
रुचै समाज न राज सुख, मन मलीन कृस गात ॥२॥
ऐसा मानना ( विश्वास करना ) चाहिये कि बिना किसी अपराधके श्रीजानकीजीका त्याग करके प्रभु पश्चात्ताप कर रहे है । उन्हें समाज ( में रहना ) तथा राज्यका सुख अच्छा नहीं लगता, चित्त खिन्न रहता है तथा शरीर दुर्बल हो गया है ॥२॥
( प्रश्न-फल निकृष्ट है । )
पुत्र लाभ लवकुस जनम सगुन सुहावन होइ ।
समाचार मंगल कुसल सुखद सुनावइ कोइ ॥३॥
लव-कुशका जन्म पुत्र प्राप्तिका सूचक शुभ शकुन है । कोई आनन्द मंगलका सुखदायी समाचार सुनायेगा ॥३॥
राज-सभाँ लवकुस ललित किए राम गुन गान ।
राज समाज सगुन सुभ सुजस लाभ सनमान ॥४॥
लव-कुशने राजसभामें सुन्दर ( मधुर ) स्वरमें श्रीरामके गुणोंका गान किया । यह शुभ शकुन राज-समाजमें सुयश तथा सम्मानकी प्राप्तिका सूचक है ॥४॥
बालमीकि लव कुस सहित आनी सिय सुनि राम ।
हृदयँ हरषु जानब प्रथम सगुन सोक परिनाम ॥५॥
महर्षि वाल्मीकि लव-कुशके साथ सीतजीको ले आये हैं, यह सुनकर श्रीरामके चित्तमें प्रसन्नता हूई । इस शकुनका फल यह जानना चाहिये कि मनमें पहिलें प्रसन्नता, पर अन्तमें शोक होगा ॥५॥
अनरथ असगुन अति असुभ सीता अवनि प्रबेसु ।
समय सोक संताप भय कलह कलंक कलेसु ॥६॥
श्रीजानकीजीका पृथ्वीमें प्रवेश कर जाना अनर्थ करनेवाला अत्यन्त अशुभ अपशकुन है । यह शोक, सन्ताप, भय, झगडे़ अपयश और कष्टका समय है ॥६॥
सुभग सगुन उनचार रस राम चरित मय चारु ।
राम भगत हित सफल सब तुलसी बिमल बिचारु ॥७॥
यह उनचास दोहोंवाला छठा सर्ग रामचरितमय होनेसे ( बडा़ ही ) सुन्दर है । तुलसीदासजी कहते हैं कि शकुन मंगलमय है, रामभक्तोंके लिये प्रत्येक निर्मल ( निष्पाप ) विचार सफल होगा ॥७॥