जिसके, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल तीनों ग्रह एकराशिमें होंय वह यंत्रविद्याका जाननेवाला, कूटविषे प्रवीण, वातरोगसे पीडित, बडा शूर और पुत्रसे हीन होता है । जिसके सूर्य, चन्द्रमा और बुध एक घरमें होयँ वह विद्या, धन और रुपसे युक्त काव्यकथामें निपुण, कवि, सभाप्रिय, धनवान्, राजाका सेवक और प्रिय बात कहनेवाला होता है । जिसके सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति एक घरमें होंय वह धर्मवान् राजाका मंत्री, दृढबुद्धिवाला, बंधुओंका मान करनेवाला, देवता और ब्राह्मणकी पूजामें रत होता है । जिसके सूर्य चन्द्रमा और शुक्र एक घरमें होयँ वह सुंदरवपु, शत्रुको दूर करनेवाला, मनुष्योंकी रक्षा करनेवाला, सुंदर अंगवाला, सदा श्रेष्ठ, तेजवाला और दांतोंका रोगी होता है ॥१-४॥
जिसके सूर्य चन्द्रमा और शनि एक घरमें होयँ वह धर्मवान, धनसे हीन, हाथी घोडेका पालन करनेवाला, शुभकर्ममें रत और शीलसे रहित होता है । जिसके सूर्य, मंगल और बुध एक घरमें होयँ वह प्रसिद्ध, साहसी, निष्ठुर, लज्जासे रहित, धन, पुत्र और स्त्रीसे युक्त होता है । जिसके बृहस्पति सूर्य और मंगल एक घरमें होयँ वह प्रचंड, सत्य बोलनेवाला, राजाका मंत्री, सुंदरवाक्य और निपुण मनुष्य होता है । जिसके शुक्र, मंगल और सूर्य एक घरमें होयँ वह सुंदर, नीतिमें आतुर, कुशील, प्यारा, दक्ष, विषयमें आसक्त मनवाला होता है ॥५-८॥
जिसके शनैश्चर सूर्य और मंगल एक घरमें होयँ वह मूर्ख, गौवोंसे हीन, रोगसे व्याकुल, भाइयोंसे हीन, विकल और लडाईसे व्याकुल होता है ॥ जिसके बुध, बृहस्पति और सूर्य एक घरमें होयँ वह नेत्रोंमे रोगी, महाधनी, शस्त्र और कारीगरीकी कलाओंको जाननेवाला और लिपिकर्ता होता है । जिसके शुक्र सुर्य और बुध एक घरमें होयँ वह गुरुवगोंसे निराकृत शापको प्राप्त, दिशाओंमें घूमें और स्त्रीके हेतु तप्तमन होता है । जिसके शनि सूर्य और बुध एक घरमें स्थित होयँ वह दुराचार, पराजयको प्राप्त, भाइयोंसे छोडाहुवा और सबसे वैर करनेवाला होता है ॥९-१२॥
शुक्र बृहस्पति और सूर्य जिसके एक घरमें होयँ वह राजाका मंत्री, धनहीन, दुष्टनेत्रवाला, वीर, बुद्धिमान् और पराये कर्मका करनेवाला होता है ॥ जिसके शनि शुक्र और सूर्य एक घरमें होयँ वह कलामान करके वर्जित, कुष्ठी, शत्रुभयसे उद्विग्न और दुराचारी होता है ॥ ]
जिसके शनि बृहस्पति और सूर्य एक घरमें होय वह पुत्र मित्र और स्त्रीवाला होता है । निर्भय, राजाओंसे वैर करनेवाला बन्धुओंमें इष्ट होता है । जिसके चन्द्रमा बुध और मंगल एक घरमें होयँ वह नीचाचार करनेवाला, पापी, संसारमें जीविकासे रहित और भाइयोंसेभी हीन होता है । जिसके चन्द्रमा बृहस्पति और मंगल एक घरमें होयँ वह बिजलीके समान चंचल स्त्रीवाला, यशयुक्त, सुंदर स्त्रियोंमें रत और चन्द्रमाके समान मुखवाला होता है । जिसके चन्द्रमा शुक्र और मंगल एक घरमें होयँ वह दुःशीला स्त्रीवाला तथा दुःशीला मातावाला, सदाही घूमनेवाला और शीतसे डरनेवाला होता है । शनि, चन्द्रमा और मंगल जिसके एक घरमें होयँ वह बाल्यावस्थाहीमें मृत मातावाला, क्षुद्र, लोकमें वैर करनेवाला और विषम होता है ॥१३-१७॥
बृहस्पति चन्द्रमा और बुध जिसके एक घरमें होयँ वह तेजस्वी, धनवान्, पुत्रमित्रादिकोंसे संयुक्त, वाणीमें निपुण, प्रसिद्ध और कीर्तिमान् होता है ॥ बुध चन्द्रमा और शुक्र जिसके एक घरमें होंय वह विद्या करके संयुक्त, ईर्षा करके युक्त, धनका अतिलोभी और नीच आचारवाला होता है ॥ जिसके बुध चन्द्रमा और शनि एक घरमें होयँ वह बुद्धिमान्, पण्डित, साधु, सर्व कलाओंका जाननेवाला, सुन्दर अंगवाला होता है ॥१८-२१॥
जिसके बृहस्पति चन्द्रमा और शनि एक घरमें होयँ वह निरोग, स्त्रीमें रत, शास्त्रार्थमें निपुण, सर्वज्ञ, गाँव और पत्तनोंका पालक होता है ॥ शनि शुक्र और चन्द्रमा जिसके एक घरमें होयँ वह लिपिकर्त्ता, वेदका जाननेवाला, पुरोहितके कुलमें उत्पन्न और पुस्तकका वाचनेवाला होता है ॥ बृहस्पति मंगल और बुध जिसके एक घरमें होयँ वह अच्छा कवि, स्त्रीको प्रिय, पराया उपकार करनेवाला, तीक्ष्ण और गानेमें निपुण होता है ॥२२-२४॥
जिसके शुक्र मंगल और बुध एक घरमें वह विकल अंगवाला चंचल, अकुलीन, सदाही उत्साहवाला, तृप्त और मुखर होता है ॥ जिसके बुध, शनि और मंगल एक घरमें होयँ वह प्रवासी, नेत्रोंमें रोगवाला, दास, वदनका रोगी और हास्यमें लुब्ध होता है ॥ बृहस्पति, शुक्र और मंगल जिसके एक घरमें होयँ वह सुन्दर स्त्रीकरके युक्त, सुखी, संसारमें सबको आनन्द करनेवाला और राजाकोभी प्रिय होता है ॥ जिसके बृहस्पति, शनि और मंगल एक घरमें होयँ वह कुष्ठयुक्त अंगवाला, राजाओंमें पूजित, नीच आचार करनेवाला, निर्धनी और मित्रोंसे विगहिंत होता है ॥२५-२८॥
जिसके शुक्र, शनि और मंगल एक घरमें होयँ वह दुश्शीला स्त्रीवाला, सुन्दर, प्रवासशील और सदाही दुःखी होता है । जिसके बुध, बृहस्पति और शुक्र एक घरमें होयँ वह अच्छी देहवाला, राजाओंमें पूजित, शत्रुओंको जीतनेवाला, बढी कीर्तिवाला और सत्यवादी होता है । जिसके बुध शनि और बृहस्पति एक घरमें होयँ वह सुन्दर स्त्रीवाला, बहुत भोगयुक्त, धनसे युक्त, ऐश्वर्यसे युक्त, बुद्धिमान् सुख और धैर्यसे युक्त होता है । जिसके मंद ( शनि ) शुक्र और बुध एक घरमें होयँ वह मुखर, पराई स्त्रीसे प्रीति करनेवाला, कुसंगति करनेवाला, कलाओंका जाननेवाला और अपनेही देशमें निरत होता है ॥२९-३२॥
जिसके शनि, बृहस्पति, शुक्र एक घरमें होयँ वह यशीराजा नीचवंशमें भी उत्पन्न सुशीलवान् राजाही होता है । पापग्रहोंसे युक्त चन्द्रमामें माताका नाश और सूर्यमें पिताका नाश, शुभग्रहोंसे शुभ होता है और पापग्रह वा शुभग्रह मिले हुए हों तो मिला हुआ फलभी होता है । तीन शुभग्रहही युक्त हो तो मनुष्यको सुखी करते हैं और तीन पापग्रहोंसे दुःखी नम्रताहीन और निन्दित जानना ॥३३-३५॥
इति त्रिग्रहयोगफलम् ॥