Site Search Input language: Select language देवनागरी Roman Kannada Bengali/Bangla Gurmukhi Gujarati Site Search Google Search Search results Results does not include Ancestry or QnA (Prashna) कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली Meanings: 1; in Dictionaries: 1 Tags: कुठे राजा भोज आणि कुठे गंगु तेली Type: WORD | Rank: 7.328602 | Lang: NA कुठे राजा भोज आणि कुठे गंगु तेली Meanings: 1; in Dictionaries: 1 Tags: कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली Type: WORD | Rank: 7.328602 | Lang: NA सिंहासन बत्तिसी - राजा भोज रंजक कथाएँ बच्चे तथा जवान, बूढेभी बडे चावसे पढते है। Tags: सिंहासन, बत्तिसी, sinhasan, battisi, भोज, bhoj Type: PAGE | Rank: 7.235087 | Lang: NA भोज Meanings: 72; in Dictionaries: 11 Tags: bhoja(ṁ), bhōja, bhoja, بُھوج भोज, भोजः ভোজ, भज जानाय, ભોજ, ಭೋಜನ, سال, سالہ بَتہ, जेवणावळ, പന്തിഭോജനം, ଭୋଜି, ਭੋਜ, सम्भोजनम्, விருந்து, విందు, دعوت, طلبی, ضیافت, بھوج भोज, भोजः भोजः Type: WORD | Rank: 6.350634 | Lang: NA राजा भोज Meanings: 2; in Dictionaries: 2 Tags: রাজা ভোজ, રાજા ભોજ, राजा भोज, ಭೋಜ ರಾಜ, راجا بوج , بوج راجا, ഭോജരാജാവ്, भोजराजा, ଭୋଜ ରାଜା, ਰਾਜਾ ਭੋਜ, भोजः, போஜ்ராஜா, భోజరాజు, راجابُھوج, بُھوج راجا, بُھوج রাজা ভোজ, રાજા ભોજ, ಭೋಜ ರಾಜ, راجا بوج , بوج راجا, राजा भोज, ഭോജരാജാവ്, भोजराजा, ଭୋଜ ରାଜା, ਰਾਜਾ ਭੋਜ, भोजः, போஜ்ராஜா, భోజరాజు, راجابُھوج, بُھوج راجا, بُھوج Type: WORD | Rank: 4.275195 | Lang: NA भोज-भात Meanings: 1; in Dictionaries: 1 Tags: marathi, hindi, sanskrit Type: WORD | Rank: 2.34973 | Lang: NA भोज राजा Meanings: 1; in Dictionaries: 1 Tags: marathi, hindi, sanskrit Type: WORD | Rank: 2.291301 | Lang: NA भोज देना Meanings: 1; in Dictionaries: 1 Tags: ভোজ দিয়া, भज हो, ভোজ আয়োজন করা, દાવત આપવી, ಔತಣ ನೀಡು, دعوت دِنۍ, जेवण घालप, സദ്യ കൊടുക്കുക, मेजवानी देणे, ꯆꯥꯛ꯭ꯄꯤꯖꯕ, ଭୋଜି ଦେବା, ਪ੍ਰੀਤੀ ਭੋਜਨ ਦੇਣਾ, सम्भोजय, விருந்தளி, విందు ఇచ్చు, دعوت دینا Type: WORD | Rank: 2.159836 | Lang: NA सिंहासन बत्तिसी - रानी रूपवती रंजक कथाएँ बच्चे तथा जवान, बूढेभी बडे चावसे पढते है। Tags: सिंहासन, बत्तिसी, sinhasan, battisi, भोज, bhoj Type: PAGE | Rank: 1.543905 | Lang: NA सिंहासन बत्तिसी - कीर्तिमती रंजक कथाएँ बच्चे तथा जवान, बूढेभी बडे चावसे पढते है। Tags: सिंहासन, बत्तिसी, sinhasan, battisi, भोज, bhoj Type: PAGE | Rank: 1.535169 | Lang: NA सिंहासन बत्तिसी - लीलावती रंजक कथाएँ बच्चे तथा जवान, बूढेभी बडे चावसे पढते है। Tags: सिंहासन, बत्तिसी, sinhasan, battisi, भोज, bhoj Type: PAGE | Rank: 1.524213 | Lang: NA एकशालालक्षणफलादि नाम त्रयोविंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA श्रीकूटादिषट्त्रिंशत्प्रासादलक्षणं नाम षष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते ९९ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA अथायतननिवेशो नामैकपञ्चाशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA द्राविडप्रासादलक्षणं नाम द्विषष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA रुचकादिप्रासादलक्षणं नामैकोनपञ्चाशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA पीठपञ्चकलक्षणं नामैकषष्टितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA द्राविडप्रासादलक्षणं नाम द्विषष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA ऋज्वागतादिस्थानलक्षणं नामैकोनाशीतितमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA चयविधिर्नामैकचत्वारिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA जगत्यङ्गसमुदायाधिकारो नामाष्टषष्टितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA द्विशालगृहलक्षणं नाम द्वाविंशोध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA पुरनिवेशो दशमोऽध्यायः - १०१ ते १४८ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA विमानादिचतुष्षष्टिप्रासादलक्षणं नामैकोनषष्टितमोऽध्यायः - १०१ ते १५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA प्रासादशुभाशुभलक्षणं नाम पञ्चाशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA पताकादिचतुष्षष्टिहस्तलक्षणं नाम त्र्यशीतितमोऽध्यायः - २०१ ते २५४ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA यन्त्रविधानं नामैकत्रिंशोऽध्यायः - १५१ ते २०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA समस्तगृहाणां सङ्ख्याकथनं नाम पञ्चविंशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA राजगृहं नाम त्रिंशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA बलिदानविधिर्नाम षट्त्रिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA दिग्भद्रा दिप्रासादलक्षणं नाम चतुष्षष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते १२० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA अथाण्डकप्रमाणं नाम चतुःसप्ततितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA सप्तविंशतिमण्डपलक्षणं नाम सप्तषष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA पताकादिचतुष्षष्टिहस्तलक्षणं नाम त्र्यशीतितमोऽध्यायः - १५१ ते २०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA महदादिसर्गश्चतुर्थोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार हा भारतीय वास्तुशास्त्र सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ आहे, ज्याची रचना धार राज्याचे परमार राजा भोज (1000–1055 इ.स.) यांनी केली होती. Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA कीलकसूत्रपातो नाम सप्तत्रिंशोऽध्यायः - ५१ ते ८१ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA भूमिबन्धो नाम द्विसप्ततितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA आयादिनिर्णयो नाम षड्विंशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - २०१ ते २५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA मेर्वादिविंशिकानागरप्रासादलक्षणं नाम त्रिषष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA राजगृहं नाम त्रिंशोऽध्यायः - १०१ ते १४० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA द्वासप्ततित्रिशाललक्षणं नामैकविंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA मेर्वादिविंशिका नाम सप्तपञ्चाशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA तोरणभङ्गादिशान्तिको नाम षट्चत्वारिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA रुचकादिप्रासादलक्षणं नामैकोनपञ्चाशोऽध्यायः - १५१ ते २०३ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA वास्तुत्रयविभागो नामैकादशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA वैष्णवादिस्थानकलक्षणं नामाशीतितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 1.463202 | Lang: NA प्रश्नो नाम तृतीयोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार हा भारतीय वास्तुशास्त्र सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ आहे, ज्याची रचना धार राज्याचे परमार राजा भोज (1000–1055 इ.स.) यांनी केली होती. 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