अनरण्य n. (सू.इ) त्रसदस्यु का पुत्र
[भा.९.७.४.] । मत्स्य, ब्रह्मांड. , वायु तथा लिंग पुराणों के मत में यह संभूत का पुत्र है । यह जब अयोध्या में राज्य कर था तब रावण ने इस पर आक्रमण किया । उस समय इसने रावण से घमासान युद्ध किया । परंतु रावण अधिक बलवान होने से, इसकी संपूर्ण सेना नष्ट हुई । इसने रावण के अमात्य, मारीच, शुक्र, सारण तथा प्रहस्त का पराभव किया । परंतु जल्द ही यह धरती पर गिरा तथा मरतेमरते इसने रावण को शाप दिया कि, यदि मेरा तप, दान, हवन सत्य होंगे, तो मेरे वंश का द्शरथपुत्र राम समस्त कुल समवेत तुम्हारा नाश करेगा
[वा.रा.यु.६०] ;
[वा. रा. उ.१९] । युद्ध त्याग कर तप करते समय रावण ने इसका वध किया इसलिये इसने शाप दिया । इसका पुत्र त्रसदश्व । भविष्यके मत में यह त्रिंशदश्व का पुत्र है तथा इसने अठाईस हजार वर्षो तक राज्य किया ।
अनरण्य II. n. (सू.इ.) सर्वकर्मा का पुत्र । इसका पुत्र निघ्न
[पद्म.सृ.८] ।