कौषीतकि n. एक ऋषि । इसके नाम पर कौषीतकि ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद, सांख्यायन, श्रौत तथा गृह्यसूत्र आदि ग्रंथ है । उसमें इसके नाम से संबंधित कुछ मत आये हैं । कौषीतकि या कौषीतकेय यह कहोड का पैंतृक नाम है
[श.ब्रा.२.४.३.१] ;
[छां. उ.३.५.१] । लुशाकपि ने इसे तथा इसके शिष्यों को शाप दिया था
[पं.ब्रा.१७.४.७.३] । इन शिष्यों में दो अध्यापक थे । पहला कहोड एवं दूसरा सर्वजित्
[सां. ब्रा.१४.२४.७१] । इसे ही सांख्यायन कहते है । इंद्रप्रतदनसंवाद में प्राणतत्व को संसार का मूलाधार कहा है
[कौ. उ. २.१] । इसका शिष्य सर्वजित्
[कौ. उ. २.७] । इसने पुत्र को उपदेश दिया
[छां. उ.१.५.२] ; कुषीतक सामश्रवस देखिये। यह प्राण को ब्रह्म मानता था ।