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नरक

   { narakḥ, naraka }
Script: Devanagari

नरक     

noun  बांद्राय मैला एबा खस्थ गोनां जायगा   Ex. थिउरिफोरनि आखायाव फैनाय लोगो लोगो बे नोगोरा जोंनि थाखाय नरक जायो
ONTOLOGY:
भौतिक स्थान (Physical Place)स्थान (Place)निर्जीव (Inanimate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
नोरोक
Wordnet:
asmনৰক
gujનરક
kasجہنَم
mniꯈꯝ꯭ꯊꯦꯡꯅ꯭ꯅꯨꯡꯉꯥꯏꯇꯕ꯭ꯃꯐꯃ
panਨਰਕ
telనరకము
urdجہنم , دوزخ , بدترجگہ

नरक     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
NARAKA   IV. See under Kāla I.
NARAKA I   (NARAKĀSURA). A valiant Asura.
1) Birth.
Once the Asura Hiraṇyākṣa was amusing himself by wading through the ocean and beating at the waves with his club. Varuṇa, the god of water, was alarmed at this and ran to Mahāviṣṇu and told him every thing. Hearing this Mahāviṣṇu got up to kill Hiraṇyākṣa. Hiraṇyākṣa who had assumed the form of a Boar carried the earth on his tusks and ran to Pātāla. As the goddess earth had come into contact with the tusks of Hiraṇyākṣa she became pregnant and gave birth to an asura infant of immense might and power. That infant was Narakāsura. Taking the infant born from impurity the sad goddess Earth went to Mahāviṣṇu and requested him to save the child somehow. Mahāviṣṇu pitied him and gave him Nārāyaṇāstra (Nārāyaṇa's weapon) and said: “Naraka! So long as this weapon is with you, nobody but me could kill you.” Saying this he disappeared. [Bhāgavata, Skandha 10] .
2) Administration.
Narakāsura made Prāgjyotiṣa his capital and ruled over the asuras as their emperor for a long time, all the while terrifying the Devas. Once this asura raped Kaśerū the daughter of Tvaṣṭā. He brought sixteen thousand and one hundred maidens from the women of the earth and the world of gods. He made them captives at Audaka on the top of the mountain Maṇiparvata. He appointed four mighty and fearful asuras: Hayagrīva, Nisunda, Pañcanada and Mura as gate-keepers of Prāgjyotiṣa. As they stood blocking the way up to Devayāna, nobody dared to enter Prāgjyotiṣa. The ten sons of Narakāsura guarded the harem. At the boundary of the country Murāsura had tied six thousand ropes with a sword at the end of each. So enemies dared not come near the boundary. When Sugrīva gave instructions to the monkeys who were sent in search of Sītā, about the route they were to follow, he had mentioned about the city of Prāgjyotiṣa. Mention is made in Vālmīki Rāmāyaṇa, Kiṣkindhā Kāṇḍa, Sarga 42 that Sugrīva had given them special instructions to search for Sītā in Prāgjyotiṣa. [M.B. Viṣṇu Parva, Chapter 63] .
3) Previous birth of Naraka.
Long ago a king who was the father of Sixteen thousand daughters, ruled over a country. While the father and daughters were sitting in the palace Mahāviṣṇu came there as a hermit. The sixteen thousand damsels gathered round the hermit. Their father got angry and cursed them. The daughters shed tears and entreated their father for liberation from the curse. He gave them remission and said that in the next birth they would become wives of Mahāviṣṇu. Another version of this story says that the damsels had requested Brahmā for liberation from the curse according to the advice of the hermit Nārada, and that Brahmā had given them liberation from the curse. In some versions it is stated that Nārada himself gave them liberation from the curse. It was this King, who was the father of the sixteen thousand damsels, who took birth again as Narakāsura. Those sixteen thousand damels who had been born as princesses in different places were taken captives by Narakāsura and were kept in Audaka. [Bhāgavata,  Skandha 10] .
4) Death.
Narakāsura who had been causing devastation and terror in the three worlds entered the world of the gods once. The gods were not able to withstand the fury of Naraka, who carried away the ear-rings of Aditi, the mother of Indra, and the large white royal umbrella of Indra to Prāgjyotiṣa. Indra went to Dvārakā and told Śrī Kṛṣṇa of the molestations he had received at the hands of Narakāsura. Śrī Kṛṣṇa rode on his Garuḍa with his wife Satyabhāmā to Prāgjyotiṣa. They flew over the city round and understood the lay-out of the city, and the precautions taken by Narakāsura. The battle began after this reconnaissance. Śrī Kṛṣṇa, Satyabhāmā and Garuḍa fought with the asuras. The might asuras such as Mura, Tāmra, Antarīkṣa, Śravaṇa, Vasu, Vibhāvasu, Nabhasvān, Aruṇa and others were killed. At last Narakāsura himself entered the battlefield. A fierce battle ensued in which Naraka was killed. The divine weapon Nārāyaṇāstra of Naraka was given to his son Bhagadatta. After the battle Śrī Kṛṣṇa and Satyabhāmā went to the world of the gods and returned the ear-rings to Aditi and the umbrella to Indra. [Bhāgavata, Skandha 10] .
NARAKA II   Mention is made about another Narakāsura who was born to Prajāpati Kaśyapa by his wife Danu, in [Mahābhārata, Ādi Parva, Chapter 65, Stanza 28] . Once Indra defeated this Narakāsura. It is seen in [Mahābhārata, Sabhā Parva, Chapter 9] that this asura after his death, stayed in the palace of Varuṇa worshipping him.
NARAKA III   Bhagadatta the son of Narakāsura ruled over the part of Pātāla called Naraka, and being the ruler of Naraka, Bhagadatta seems to have been known by the name of Naraka also.

नरक     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  धार्मिक विचारों के अनुसार वह स्थान जहाँ पापियों या दुराचारियों की आत्माएँ दंड भोगने के लिए भेजी जाती हैं   Ex. पापी मरने के बाद नरक में जाता है ।
HYPONYMY:
महारौरव रेतकुंड अयःपान संजीव नरक संघात ध्वांत तामिस्त्र अंधतामिस्र रौरव कृमिभोजन संदंश तप्तसूर्मि वज्रकंटक शाल्मली पूयोद प्राणरोध विशसन लालाभक्ष सारमेयादन अवीचि असिपत्र अस्थिकुंड नरक अंधकूप
ONTOLOGY:
पौराणिक स्थान (Mythological Place)स्थान (Place)निर्जीव (Inanimate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
नर्क जहन्नुम दोज़ख पापलोक दहर
Wordnet:
asmনৰক
bdनोरोख
benনরক
gujનરક
kanನರಕ
kasجہنَم , نارِ جہنَم , وٲل
kokनरक
malപാതാളം
marनरक
mniꯅꯣꯔꯣꯛ
nepनर्क
oriନର୍କ
panਨਰਕ
sanनरकः
tamநரகம்
telనరకం
urdجہنم , دوزخ , نرک
noun  बहुत ही गंदा या कष्टदायक स्थान   Ex. आतंकवाद की चपेट में आते ही यह शहर हमारे लिए नरक बन गया है ।
ONTOLOGY:
भौतिक स्थान (Physical Place)स्थान (Place)निर्जीव (Inanimate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
नर्क जहन्नुम दोज़ख
Wordnet:
asmনৰক
bdनरक
gujનરક
kasجہنَم
mniꯈꯝ꯭ꯊꯦꯡꯅ꯭ꯅꯨꯡꯉꯥꯏꯇꯕ꯭ꯃꯐꯃ
panਨਰਕ
telనరకము
urdجہنم , دوزخ , بدترجگہ
noun  एक असुर   Ex. नरक विप्रचित्ति का पुत्र था ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
kasنَرک
sanनरकः
urdنرک

नरक     

नरक n.  एक दानव । यह कश्यप तथा दनु का पुत्र था [म.आ.५९.२८] । इंद्र ने इसे परास्त किया था ।
नरक II. n.  तेरह सैंहिकेयों में से एक । यह विप्रचित दानव तथा दितिकन्या सिंहिका का पुत्र था ।
नरक III. n.  एक असुर, एवं प्राग्ज्योतिषपुर का राजा । पृथ्वी का पुत्र (भूमिपुत्र) होने के कारण, इसे भौम नाम भी प्राप्त था । इसकी माता भूदेवी ने विष्णु को प्रसन्न कर, इसके लिये ‘वैष्णवास्त्र’ प्राप्त किया था । उसी अस्त्र के कारण, नरकासुर बलाढय एवं अवध्य बना था । अपनी मृत्यु के पश्चात्, यही अस्त्र इसने अपने पुत्र भगदत्त को प्रदान किया [म.द्रो.२८] । नरक का राज्य नील समुद्र के किनारें था । इसकी राजधानी प्राग्ज्योतिषपुर अथवा मूर्तिलिंग नगर में थी । इसके पॉंच राज्यपाल थेः--हयग्रीव, निशुंभ, पंचजन, विरुपाक्ष एवं मुर [म.स.परि.१क्र.२१. पंक्ति. १००६] । पृथ्वी भर की सुंदर स्त्रियॉं, उत्तम रत्न एवं विविध वस्त्र आदि का हरण कर, नरक अपने नगर में रख देता था । किंतु उन में से किसी भी चीज का यह स्वयं उपभोग नहीं लेता था । गंधर्व, देवता, एवं मनुष्यो की सोलह हजार एक सौ कन्याएँ, एवं अप्सराओं के समुदाय में से सात अप्सराओं का नरक ने हरण किया था । त्वष्टा की चौदह वर्ष की कन्या कशेरु का, उसे मुर्च्छित कर नरक ने अपहरण किया था । उस समय इसने हाथी का मायावी रुप धारण किया था [म.स.परि.१क्र.२१पंक्ति.९३८-९४०] । इंद्र का ऐरावत हाथी एवं उचैःश्रवा नामक अश्व का भी उसने हरण किया था । देवमाता अदिति के कुंडलों का भी नरक ने अपहरण किया था । नरक से पृथ्वी से अपहरण किया सारा धन, एवं स्त्रियाएँ अलका नगरी के पास मणिपर्वत पर ‘औद्रका’ नामक स्थान में रखी हुई थी । मुर के दस पुत्र एवं अन्य प्रधान राक्षस, उस अंतःपुर की रक्षा करते थे । इसके राज्य की सीमा पर, मुर दैत्य के बनाये हुएँ छः हजार पाश लगाएँ गये थे । उन पाशों के किनारों के भागों में छुरे लगाएँ हुए थे । इस के बाद बडे पर्वतों के चट्टानों के ढेर से एक बाड लगाई गयी थी । इस ढेर का रक्षक निशुंभ था । औदका के अंतर्गत लोहित गंगा नदी के बीच विरुपाक्ष एवं पंचजन ये राक्षस उस नगरी के रक्षक थे । [म.स.१.२१.९५३] । नरक, का वर्तन हमेशा ही देव तथा ऋषिओं के खिलाफ ही रहता था । स्वयं कृष्ण का भी इसने अपमान किया था । एक बार सारे यादव दाशार्ही सभा में बैठे हुएँ थे । उस समय समस्त देवमंडल को साथ ले कर इंद्र वहॉं आया । उस ने कृष्ण से पापी नरकासुर के वध करने की प्रार्थना की । श्रीकृष्ण ने भी नरक का वध करने की प्रतिज्ञा की । पश्चात् सत्यभामा एवं इंद्र को साथ ले कर तथा गरुड पर आरुढ हो कर, श्रीकृष्न प्रग्ज्योतिषापुर राज्य के सीमा पर पहुँच गया । उस राज्य की सीमा पर मुर दैत्य की चतुरंगसेना खडी थी । उस सेना के पीछे मुर दैत्य के बनाये हुएँ छः हजार तीक्ष्ण पाश थे । श्रीकृष्ण ने उन पाशों को काट कर, एवं मुर को मार कर राज्य की सीमा में प्रवेश किया । पश्चात् पर्वतों के चट्टानों के घेरे के रक्षक, निशुंभ पर श्रीकृष्ण ने हमला किया । इस युद्ध में निशुंभ, हयग्रीव आदि आठ लाख दानवों का वध कर श्रीकृष्ण आगे बढा । पश्चात् ओदका के अंतर्गत विरुपाक्ष एवं पंचजन नाम से प्रसिद्ध पॉंच भयंकर राक्षसों से श्रीकृष्ण का युद्ध हुआ । उनको मार कर श्रीकृष्ण ने प्राग्‌ज्योतिपपुर नगर में प्रवेश किया । प्राग्‌ज्योतिषपूर नगरी में, श्रीकृष्ण को दैत्यों के साथ बिकट युद्ध करना पडा । उस युद्ध में लक्षावधि दानवों को मार कर, श्रीकृष्ण पाताल गुफा में गया । वहॉं नरकासुर रहता था । वहॉं कुछ देर युद्ध करने के बाद, श्रीकृष्ण ने चक्र ने नरकासुर का मस्तक काट दिया [म.स.परि.१.क्र. २१ पंक्ति. ९९५-११५५] । इसका वध करने के पहले, श्रीकृष्ण ने इसे ब्रह्मद्रोही, लोककंटक एवं नराधम कह कर पुकारा [म.स.परि.१क्र. २१ पंक्ति. १०३५] । नरकासुर एवं श्रीकृष्ण कें युद्ध की कथा हरिवंश में कुछ अलग ढंग से दी गयी हैं । पंचजन दैत्य का वध करने के पश्चात्, श्रीकृष्ण ने प्राग्‌ज्योतिषपुर नगरी पर हमला किया । नरकासुर से युद्ध शुरु करने के पहले श्रीकृष्ण ने पांचजन्य शंख फूँका । उस शंख की आवाज सुन कर नरक अत्यंत क्रोधित हुआ, एवं अपने रथ में बैठ कर युद्ध के लिये बाहर चला आया । नरक का रथ अत्यंत विस्तृत, मौल्यवान एवं अजस्त्र था । इसके रथ को हजार घोडे जोते गये थे । इस प्रकार सुसज्ज हो कर, नरकासुर युद्धभूमि में आया, एवं श्रीकृष्ण से उसका तुमुल युद्ध हुआ । आखिर श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उसकी सिर काट लिया । फिर नरकासुर की माता ने, श्रीकृष्ण के पास आ कर, अदिति के कुंडल एवं प्राग्‌ज्योतिषपुर का राज्य उसे अर्पण कर दिया [ह.वं.२.६३] ;[भा.१०.५९] । पश्चात् श्रीकृष्ण ने नरकासुर के महल में प्रवेश कर बंदिगृह में रखी गयी सोलह हजार एक सौ स्त्रियों की मुक्तता की [पद्म.उ.२८८] । उन स्त्रियों को एवं काफी संपत्ति ले कर श्रीकृष्ण द्वारका लौट आया [भा.१०.५९] । नरकासुर वध की कथा पद्मपुराण में भी दी गयी है । किंतु उस में ‘नरचतुर्दशी माहात्म्य’ को अधिक महत्त्व दिया गया है । नरकासुर ने तप तथा अध्ययन कर, तपःसिद्धि प्राप्त की थी । फिर इन्द्र को इससे भीति उत्पन्न हुई, एवं उसने नरकासुर का वध करने की प्रार्थना कृष्ण से की । पश्चात् श्रीकृष्ण ने इस तपःसिद्ध नरकासुर को हस्ततल से प्रहार कर के इसका वध किया । यह मरणोन्मुख हो कर भूमि पर गिरा तब इसने कृष्ण की स्तुति की । कृष्ण ने इसे वर मॉंगने के लिये कहा । इसने वर मॉंगा ‘मेरे मृत्युदिन के तिथि को, जो सूर्यादय के पहले मंगलस्नान करेंगे, उन्हें नरक की पीडा न हो’। यह कार्तिक वद्य चतुर्दशी को मृत हुआ । इसलिये उस दिन को ‘नरक चतुर्दशी’ कहने की प्रथात शुरु हुई । उस दिन किया प्रातःस्नान पुण्यप्रद मानने की जनरीति प्रचलित हुई [पद्म. उ.७६.६७] । लोमश ऋषि के साथ पांडव तीर्थाटन के लिये गये थे । अलकनंदा नदी के पास जाने पर, शुभ्र पर्वत के समान प्रतीत होनेवाला शिखर लोमश ने उन्हें दिखाया । वे नरकासुर की अस्थियॉं थी [म.व.परि.१.क्र.१६. पंक्ति२८-३१] । वरुण सभा में नरकासुर को सम्माननीय स्थान प्राप्त हुआ था [म.स.९.१२] । नरकासुर के वध के बाद उसकी माता के कथनानुसार, कृष्ण ने इसने पुत्र भगदत्त को अभयदान दिया । उस पर वरदहस्त रखा तथा उसे राज्य दिया [भा.१०.५९] । नरकासुर की कथा कालिकापुराण में निम्नलिखित ढंग से दी गयी है । त्रेतायुग के उत्तारार्ध में यह वराहरुपी विष्णु को भूमि के द्वारा उत्पन्न हुआ । विदेह देश के राजा जनक ने सोलह वर्षो तक इसका पालन किया । प्राग्ज्योतिषपुर के किरातों से युद्ध कर के, इसने उनका नाश किया । बाद में राज्यश्री के कारण मदोन्मत्त होने पर द्वापार युग में कृष्ण ने इसका नाश किया [कालि.३९-४०]

नरक     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  मेले उपरांत पातकांची ख्यास्त भोगपाची पुराणांत वर्णिल्ली सुवात   Ex. जो वायट कर्म करता तो नरकांत पावता
HYPONYMY:
महारौरव रेतकुंड संजीव नरक ध्वांत अयापान संघात तामिस्त्र अंधतामिस्र रौरव कृमिभोजन संदंश तप्तसुर्मी वज्रकंटक शाल्मली पुयोद प्राणरोध विशसन लालाभक्ष सारमेयादन अविची अस्थिकुंड नरक अंधकूप
ONTOLOGY:
पौराणिक स्थान (Mythological Place)स्थान (Place)निर्जीव (Inanimate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
यमलोक यमकोंड
Wordnet:
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hinनरक
kanನರಕ
kasجہنَم , نارِ جہنَم , وٲل
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oriନର୍କ
panਨਰਕ
sanनरकः
tamநரகம்
telనరకం
urdجہنم , دوزخ , نرک
noun  खूब बुरशी वा त्रासदिणी सुवात   Ex. आतंकवाद्यांच्या ताब्यांत आयले बाराबर आमचें शार आमचे खातीर नरक जालें
ONTOLOGY:
भौतिक स्थान (Physical Place)स्थान (Place)निर्जीव (Inanimate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
यमकोंड
Wordnet:
asmনৰক
bdनरक
gujનરક
kasجہنَم
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panਨਰਕ
telనరకము
urdجہنم , دوزخ , بدترجگہ
noun  एक राक्षस   Ex. नरक विप्रचित्तिचो पूत आशिल्लो
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
kasنَرک
sanनरकः
urdنرک

नरक     

A dictionary, Marathi and English | Marathi  English
a bad example. नरकांत धोंडा टाकून शिंतोडा घेणें-उडविणें To delight one's self in dirty doings. नरकांत जीभ घालणें To tell lies: also to promise something disgusting in the performance. नरकांत पचणें To lie soaking or lingering in any bad place, case, or condition. नरकानें अंग भरणें To be deeply in debt. नरकासारखा घाणेरा or घाणणें Used of a spirit-drinker or other stinkard, of a dun, taskmaster, disagreeable business &c. नरकीं धजा लावणें To achieve exploits leading to eminence in hell. लोकाच्या नरकांत बुडणें To be extensively involved in debt.

नरक     

Aryabhushan School Dictionary | Marathi  English
 m  Hell. A mass or heap of ordure and filth.
नरक अंगावर घेणें   To take up any bad business of another.
नरक उपसणें   To stir any disgusting question or foul affair.
नरक तोंडांत सांठविणें   To be very scurrilous or obscene.
नरकाची वाट दाखविणें   To exhibit (the road to hell) a bad example.
नरकांत धोंडा टाकून शिंतोडा घेणें-उडविणें.   To delight one's self in dirty doings.
नरकांत जीभ घालणें   To tell lies: also to promise something disgusting in the performance.
नरकांत पचणें   To lie soaking or lingering in any bad place, case or condition.
नरकानें अंग भरणें   To be deeply in debt.
नरकीं ध्वजा लावणें   To achieve exploits leading to eminence in hell.
लोकांच्या नरकांत बुडणें   To be extensively involved in debt.

नरक     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  पौराणिक मान्यतेनुसार मृत्यूनंतर पापी लोकांना यातना भोगण्याचे यमनगरीतील ठिकाण   Ex. दुष्टांच्या वाट्याला शेवटी नरक येतो.
HYPONYMY:
अवीचि संदंश कृमिभोजन अंधतामिस्र तामिस्त्र महारौरव रौरव तप्तसूर्मि वज्रकंटक शाल्मली पूयोद प्राणरोध विशसन लालाभक्ष सारमेयादन संजीव नरक ध्वांत नरक अस्थिकुंड नरक
ONTOLOGY:
पौराणिक स्थान (Mythological Place)स्थान (Place)निर्जीव (Inanimate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
नरकलोक नरकपुरी यमपुरी
Wordnet:
asmনৰক
bdनोरोख
benনরক
gujનરક
hinनरक
kanನರಕ
kasجہنَم , نارِ جہنَم , وٲل
kokनरक
malപാതാളം
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nepनर्क
oriନର୍କ
panਨਰਕ
sanनरकः
tamநரகம்
telనరకం
urdجہنم , دوزخ , نرک
noun  खूपच घाणेरडे किंवा त्रासदायक ठिकाण   Ex. दहशतवादामुळे हे शहर आमच्यासाठी नरक बनले आहे.
ONTOLOGY:
भौतिक स्थान (Physical Place)स्थान (Place)निर्जीव (Inanimate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
asmনৰক
bdनरक
gujનરક
kasجہنَم
mniꯈꯝ꯭ꯊꯦꯡꯅ꯭ꯅꯨꯡꯉꯥꯏꯇꯕ꯭ꯃꯐꯃ
panਨਰਕ
telనరకము
urdجہنم , دوزخ , بدترجگہ
noun  एक असुर   Ex. नरक हा विप्रचित्तिचा पुत्र होता.
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
kasنَرک
sanनरकः
urdنرک

नरक     

 पु. यमनगरीतील विष्टा , रक्त , पू इ० घाण पदार्थांनी भरलेली , पापी लोकांना यातना भोगण्याची जागा . याचे ८४ प्रकार आहेत . पापी लोकांसाठी मृत्युनंतरचे स्थान , लोक . २ ( ल . ) विष्टा ; मल ; घाणीचा संचय ; ( सामा . ) विष्टा ; गू . ३ विष्णूने मारलेला एक राक्षस . ४ ( ख्रि . ) ईश्वरी सहवासाचा व तज्जन्य आध्यात्मिक अनुग्रहाचा अभाव . विरह तुझारे नरक भयंकर । भासे प्रलयानल पेटे । - उसं २९३ . ५ ( ख्रि . ) सैतान व दुरात्मे यांचे वसतिस्थान . तुझे संपूर्ण शरीर नरकांत टाकले जावे यापेक्षा तुझ्या एका अवयवाचा नाश व्हावा यांत तुझे बरे आहे . - मत्त ५ . २९ . [ सं . ] ( वाप्र . )
०अंगावर   - ( एखाद्याचे ) वाईट , दुष्कीर्तिकारक काम अंगावर घेणे .
घेणे   - ( एखाद्याचे ) वाईट , दुष्कीर्तिकारक काम अंगावर घेणे .
०उपसणे   ( एखाद्याच्या ) घाणेरड्या गोष्टी , कृत्ये बाहेर काढणे ; ( एखाद्या ) घाणेरड्या गोष्टीची , प्रश्नाची शहानिशा , चर्चा करणे .
०तोंडात   - तोंडांत नेहमी अपशब्द , ग्राम्य शब्द भरलेले असणे ; नेहमी ग्रामस्थ , अश्लील , शिविगाळीचे भाषण करणे . - काची वाट दाखविणे - ( एखाद्यास ) दुर्मार्गप्रवृत्त करणे ; वाईट उदाहरण घालून देणे . - काची सामुग्री - स्त्री . १ ( नरकवासास पात्र करणार्‍या ) दुष्कृत्यांचा समुदाय . २ ( रागाने ) संसार . ३ ( रागाने ) नकोशी , तिरस्करणीय , गोष्ट , काम . - काचे खापर - टोपले - न . १ विष्टेने भरलेले टोपले . २ खापर . ३ ( ल . ) कर्ज ; आंतबट्ट्याचा धंदा ; तिरस्करणीय , नकोशी गोष्ट , काम , लोकापवाद , अपकिर्ति इ० . ( क्रि० येणे ; फुटणे ; डोईवर येणे ; फुटणे ; घेणे ). - कांत जीभ घालणे - १ खोटे बोलणे . २ घाणेरड्या गोष्टींचे अभिवचन देणे . - कांत धोंडा टांकून शिंतोडा घेणे - १ घाणेरडी कृत्ये करण्यांत पुरुषार्थ , समाधान मानणे . २ वाइटाशी संबंध ठेवून त्याचा वाईट परिणाम भोगणे . - कांत पचणे - घाणेरड्या , किळसवाण्या जागेत , परिस्थितीत खितपत पडणे . - काने अंग भरणे - ( ल . ) कर्जाखाली बुडणे ; पराकाष्ठेचे कर्जबाजारी होणे . - कासारखा घाणेरा - वि . नरकाप्रमाणे तिरस्करणीय , नकोसा वाटणारा ( दारुड्या , तगादेदार , धरणेकरी , गळप्रह , नकोशी , गोष्ट इ० ). - कासारखे घाणणे - ( एखादी गोष्ट , व्यक्ति इ० ) नरकाप्रमाणे तिरस्करणीय वाटणे . - की धजा - ध्वजा लावणे - ज्यामुळे नरकांत श्रेष्ठपणा गाजेल अशी घाणेरडी कृत्ये करणे . लोकांच्या नरकांत बुडणे - लोकांचे पराकाष्ठेचे देणे होणे ; लोकांच्या कर्जात बुडणे . सामाशब्द -
सांठविणे   - तोंडांत नेहमी अपशब्द , ग्राम्य शब्द भरलेले असणे ; नेहमी ग्रामस्थ , अश्लील , शिविगाळीचे भाषण करणे . - काची वाट दाखविणे - ( एखाद्यास ) दुर्मार्गप्रवृत्त करणे ; वाईट उदाहरण घालून देणे . - काची सामुग्री - स्त्री . १ ( नरकवासास पात्र करणार्‍या ) दुष्कृत्यांचा समुदाय . २ ( रागाने ) संसार . ३ ( रागाने ) नकोशी , तिरस्करणीय , गोष्ट , काम . - काचे खापर - टोपले - न . १ विष्टेने भरलेले टोपले . २ खापर . ३ ( ल . ) कर्ज ; आंतबट्ट्याचा धंदा ; तिरस्करणीय , नकोशी गोष्ट , काम , लोकापवाद , अपकिर्ति इ० . ( क्रि० येणे ; फुटणे ; डोईवर येणे ; फुटणे ; घेणे ). - कांत जीभ घालणे - १ खोटे बोलणे . २ घाणेरड्या गोष्टींचे अभिवचन देणे . - कांत धोंडा टांकून शिंतोडा घेणे - १ घाणेरडी कृत्ये करण्यांत पुरुषार्थ , समाधान मानणे . २ वाइटाशी संबंध ठेवून त्याचा वाईट परिणाम भोगणे . - कांत पचणे - घाणेरड्या , किळसवाण्या जागेत , परिस्थितीत खितपत पडणे . - काने अंग भरणे - ( ल . ) कर्जाखाली बुडणे ; पराकाष्ठेचे कर्जबाजारी होणे . - कासारखा घाणेरा - वि . नरकाप्रमाणे तिरस्करणीय , नकोसा वाटणारा ( दारुड्या , तगादेदार , धरणेकरी , गळप्रह , नकोशी , गोष्ट इ० ). - कासारखे घाणणे - ( एखादी गोष्ट , व्यक्ति इ० ) नरकाप्रमाणे तिरस्करणीय वाटणे . - की धजा - ध्वजा लावणे - ज्यामुळे नरकांत श्रेष्ठपणा गाजेल अशी घाणेरडी कृत्ये करणे . लोकांच्या नरकांत बुडणे - लोकांचे पराकाष्ठेचे देणे होणे ; लोकांच्या कर्जात बुडणे . सामाशब्द -
०कुंड  न. १ पापी मनुष्य मरणोत्तर ज्यांत खितपत पडतो असे नरकाचे कुंड . अशी ८६ . कुंडे आहेत . २ ( ल . तिरस्कारार्थी ) स्त्रीचा गर्भाशय . नऊ मासपर्यंत प्राण्यास नरककुंडात वास घडतो . [ सं . नरक + कुंड ]
०केंस   पुअव . ( मुलास ) उपजत असलेले , गर्भावस्थेत आलेले , जन्मल्यापासूनच असलेले केंस . [ नरक + केस ]
०चतुर्दशी  स्त्री. विष्णूने नरकासुराचा वध केला तो आश्विन वद्य चतुर्दशीचा दिवस . या दिवशी पहाटेस अभ्यंगस्नान करुन यमतर्पण करावयाचे असते . [ नरक = नरकासूर + चतुर्दशी ]
०पाल   पाळ - पु . यम . स्तुत होय स्वःपाळा केव्हां जी जी म्हणे नरकपाळा । - मोसभा ६ . ९१ . [ नरक + सं . पाल = रक्षण करणे ]
०वणी  न. घाणेरडे व दुर्गंधयुक्त पाणी . [ नरक + पाणी ]
०वास  पु. १ नरकांत राहणे . २ ( ल . ) गर्भवास . ३ ( एखाद्या ) घाणेरड्या किंवा आपत्ति भोगाव्या लागणार्‍या जागेत राहणे . ४ अधर्मस्थल . [ नरक + वास = राहणे ] नरकाड , नरकाडी , नरकड स्त्री . घाणीची दुर्गंधयुक्त जागा ; गुखाडी . सोंगाच्या नरकाडी । तुका बोडोनिया सोडी । - तुगा २८१९ . [ नरक ]

नरक     

नेपाली (Nepali) WN | Nepali  Nepali
noun  धेरै फोहोरी वा कष्टदायक स्थान   Ex. आतङ्कवादको चेपारोमा परेर यो सहर हाम्रा लागि नरक बनियो
ONTOLOGY:
भौतिक स्थान (Physical Place)स्थान (Place)निर्जीव (Inanimate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
नर्क
Wordnet:
asmনৰক
bdनरक
gujનરક
kasجہنَم
mniꯈꯝ꯭ꯊꯦꯡꯅ꯭ꯅꯨꯡꯉꯥꯏꯇꯕ꯭ꯃꯐꯃ
panਨਰਕ
telనరకము
urdجہنم , دوزخ , بدترجگہ
See : नर्क

नरक     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
नरक  mn. mn. ([Nir.] ; नर॑क, [TĀr.] ) hell, place of torment, [Mn.] ; [MBh.] &c.
पाताल   (distinguished from q.v.; personified as a son of अनृत and निरृति or निर्कृति, [MārkP.] ; there are many different hells, generally 21 [Mn. iv, 88-90] ; [Yājñ.] ; [Pur.] &c.)
नरक  m. m.N. of a demon (son of विष्णु and भूमि or the Earth, and therefore called भौम, haunting प्राग्-ज्योतिष and slain by कृष्ण), [MBh.] ; [Pur.] ; [Rājat.] &c.
of a son of विप्र-चित्ति, [VP.]
देव-रात्रिप्रभेद   = (?), [L.]
ROOTS:
देव रात्रिप्रभेद
नरक  mn. mn.N. of a place of pilgrimage, [MBh.] (v.l.अनरक)

नरक     

नरकः [narakḥ] कम् [kam]   कम् 1 Hell, infernal regions (corresponding to the realm of Pluto; there are said to be 21 different parts of these regions where different kinds of tortures are inflicted upon sinners तामिस्र, अन्धतामिस्र, महारौरव, रौरव, नरक, कालसूत्र, महानरक, संजीवन, माहवीचि, तपन, संप्रतापन, संहात, काकोल, कुड्मल, प्रतिमूर्तिक, लोहशङ्कु, ऋजीष, पन्था, शाल्मली, असितपत्रवन, लोहदारक are the 21 Narakas; cf. [Ms.4.] 88-9).
A liquor-vessel; नरकं मद्यभाजने [Nm.]
-कः  N. N. of a demon, king of Prāgjyotiṣa. [According to one account he carried off Aditi's ear-rings and Kṛiṣna at the request of the gods killed him in a single combat and recovered the jewels. According to another account, Naraka assumed the form of an elephant and carried off the daughter of Viśvakarman and outraged her. He also seized the daughters of Gandharvas, gods, men and the nymphs themselves, and collected more than 16 damsels in his harem. These, it is related, were transferred by Kṛiṣṇa to his own harem after he had slain Naraka. The demon was born of earth, and hence called 'Bhauma'] -Comp.
-अन्तकः, -अरिः, -जित्, -रिपुः  m. m. epithets of Kṛiṣṇa; नरकरिपुणा सार्धं तेषां सभीमकिरीटिनाम् [Ve.3.24.]
आमयः the soul after death.
a ghost, spirit.
-आवासः   an inhabitant of hell.
-कुण्डम्   a pit in hell where the wicked are tormented (86 such places are enumerated).
-देवता   'the deity of hell', Nirṛiti (निर्ऋति).
-रूपिन् a.  a. hellish.-वासः the abode in hell.
-स्या   the Vaitariṇī river.

नरक     

Shabda-Sagara | Sanskrit  English
नरक  mn.  (-कः-कं) Hell, the infernal regions, including a number of places of torture of various descriptions.
 m.  (-कः) The name of a Daitya or demon.
E. नृ to guide or lead, affix वुन्, whither the wicked are conducted: It is sometimes read नारक .
ROOTS:
नृ वुन् नारक .

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