लौगाक्षि n. एक शतशाखाध्यायी सामवेदी आचार्य, जे व्यास की सामशिष्य परंपरा में से पौष्यंजि नामक आचार्य का शिष्य था । एक स्मृतिकार के नाते से इसका निर्देश मिताक्षरा में प्राप्त है, जहाँ इसके अशौच एवं प्रायश्चित के संबंधी श्लोक उदधृत किये गयें है
[याज्ञ. ३.१.२, २६०, २८९] । अपरार्क के द्वारा भी इसके निम्नलिखित विषयों के संबंधी गद्यापद्यात्मक उद्धरण दिये गयें है । संस्कार वैश्वदेव, चातुर्मास्य, द्रव्यशुद्धि, श्राद्ध, अशौच एवं प्रायश्चित, योग एवं क्षेम शब्दों की व्याख्या करनेवाला, एवं उन दोनों का अभिन्नत्व प्रस्थापित करनेवाला लौगाक्षि का एक श्लोक प्रसिद्ध है, जो मिताक्षरा आदि धर्मशास्त्र ग्रंथो में प्राप्त है ।
लौगाक्षि n. १. आर्षाध्याय; २.उपनयनतंत्र; ३. काठक गृहासूत्र; ४. प्रवराध्याय; ५.श्लोकदर्पण
लौगाक्षि II. n. लौक्षिण्य नामक भृगुकुलोप्तन्न गोत्रकार का नामान्तर ।