वातिक n. एक लोकसमूह, जो भारतीय युद्ध के काल में वृत्तनिवेदन एवं वृत्तप्रसारण का काम करता था । दुर्योधन एवं युधिष्ठिर ने क्रमशः ‘वैष्णवयज्ञ’ एवं राजयूय यज्ञ किये। इन दोनों यज्ञसमारोह में वातिक लोग उपस्थित थे, जिन्होंने सारे कुरुराज्य में वृत्त फैलाया कि, युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के हिसाब में दुर्योधन का वैष्णव यज्ञ बिलकुल फीका, अतएव अयशस्वी था
[म. व. २४३.३-४] । भारतीय युद्ध के निम्नलिखित महत्वपूर्ण प्रसंगों में भी वातिकों के उपस्थित होने का निर्देश प्राप्त हैः- १. जयद्रथवध के समय हुआ संकुलयुद्ध
[म. द्रो. १२०.७२] ; २. अश्र्वत्थामा-द्रुपदयुद्ध
[म. द्रो. १३५.३९] ; ३. दुर्योधन-भीमा द्वंदयुद्ध
[म. श. ५४] ; ४. दुर्योधन की मृत्यु
[म. श. ५७. ५९] । आगे चल कर वातिकों के द्वारा ही, दुर्योधनवध की वार्ता अश्र्वथामन् कृप एवं कृतवर्मन् को प्राप्त हुई
[म. श. ६४.१] । संभव है, संजय भी वातिकों में से एक था ।
वातिक II. n. स्कंद का एक सैनिक
[म. श. ४४.६२]