सुनंद n. (प्रद्योत. भविष्य.) एक राजा, जो भविष्य के अनुसार प्रद्योत राजा का पुत्र था । सुनंद राजा के पश्चात्, भविष्य पुराण में प्राप्त इतिहासकथन समाप्त हो कर, भविष्यकथन प्रारंभ होता है । इसी राजा के पश्चात् समस्त संसार म्लेंच्छमय होने की आशंका से नैमिषराण्य में रहनेवाले अठासी हज़ार ऋषि उस अरण्य को छोड़ कर हिमालय की ओर चले गये, जहाँ विशाल नगरी में विष्णुपुराण का कथन किया है
[भवि. प्रति. १.४] ।
सुनंद II. n. विष्णु का एक पार्षद
[भा. २.९.१४] ।
सुनंद III. n. एक गोप, जो नंदगोप का मित्र था । इसके घर उग्रतपस् नामक ऋषि ने सुनंदा नामक कन्या के रूप में जन्म लिया
[पद्म. पा. ७२] ।
सुनंद IV. n. एक ब्राह्मण, जिसकी कथा गीता के ग्यारहवें अध्याय का महत्त्व कथन करने के लिए पद्म में दी गयी है
[पद्म. उ. १८५] ।