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सत्यभामा n. श्रीकृष्ण की रानी, जो यादवराजा सत्राजित् (भङ्गकार) की कन्या थी । सत्राजित् राजा ने स्यमंतक मणि के चोरी का झूटा दोष कृष्ण पर लगाया । इस संबंध में कृष्ण संपूर्णतया निर्दोष है, इसका सबूत प्राप्त होने पर सत्राजित ने कृष्ण से क्षमा माँगी, एवं अपनी ज्येष्ठ कन्या सत्यभामा उसे विवाह में अर्पित की। इसके विवाह के समय, सत्राजित्, ने स्यमंतक मणि भी वरदक्षिणा के रूप में देना चाहा, किंतु कृष्ण ने उसे लौटा दिया । इसे सत्या नामान्तर भी प्राप्त था । यह अत्यंत स्वरूपसुंदर थी, एवं अक्रूर आदि अनेक यादव राजा इससे विवाह करना चाहते थे । किन्तु उन्हें टाल कर सत्राजित् ने इसका विवाह कृष्ण से कर दिया ।
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सत्यभामा n. श्रीकृष्ण के द्वारा नगरी में इसके लिए एक भव्य प्रासाद बनवाया था, जिसका नाम शीतवत् था [म. स. परि. १.२१.१२४१] ।
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सत्यभामा n. आगे चल कर कृष्ण जब बलराम के साथ पाण्डवों से मिलने हस्तिनापुर गया था, वही सुअवसर समझ कर यादवराजा शतधन्वन् ने इसके पिता सत्राजित् का वध किया । अपने पिता के मृत्यु के पश्चात् इसने उसका शरीर तैल आदि द्रव्यों में सुरक्षित रखा, एवं यह श्रीकृष्ण को बुलाने के लिए हस्तिनापुर गयी। पश्चात् इसीके द्वारा प्रार्थना किये जाने पर श्रीकृष्ण ने शतधन्वन् का वध किया (सत्राजित् देखिये) ।
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सत्यभामा n. नरकासुर के युद्ध के समय, एवं कृष्ण के इंद्रलोक गमन के समय, यह उसके साथ उपस्थित था । स्वर्ग की इसी यात्रा में इसने पारिजात वृक्ष को देखा। आगे चल कर नारद के द्वारा लाये गये पारिजात पुष्प, कृष्ण ने इसे दे कर, अपनी रुक्मिणी आदि अन्य रानियों को दे दिया । इस कारण क्रुद्ध होकर इसने कृष्ण से प्रार्थना की कि, वह इंद्र से युद्ध कर उससे परिजात-वृक्ष प्राप्त करे। तदनुसार कृष्ण ने पारिजात वृक्ष की प्राप्ति कर ली [भा. १०.५९] ;[ह. वं. २.६४-७३] ;[विष्णु. ५.३०] ।
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